मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

होम्‍योपैथिक दवा देने का सिद्धन्‍त


                 होम्‍योपैथिक दवा देने का सिद्धन्‍त
  औषधिय के निर्वाचन के बाद औषधि को किस शक्ति या पोटेसी में देना चाहिये । यह एक प्रश्‍न प्रत्‍येक होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक के समक्ष खडा हो जाता है , होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा में चिकित्‍सक जीवन शक्ति पर जैसा रोग है वैसी औषधियों का निर्वाचन कर प्रहार करते है , इसे यू भी कहॉ जा सकता है कि चिकित्‍सक सम औषधियों से जीवन शक्ति पर प्रहार करते है इससे जीवन शक्ति सजग होकर अपने सामान्‍य स्थिति में आने का प्रयास करती है ठीक उसी तरह से जैसे हम किसी घडी के पेंडोलम को जोर से (उच्‍च शक्ति या पोटेंसी) या धीमी गति से (निम्‍न शक्ति या पोटेंसी) किसी भी दिशा में धुमा कर छोडते है तो वह पहले जिस बल का प्रयोग किया गया है उसके अनुसार गति करती है, इसके बाद वह अपने स्‍वाभाविक स्थिति में आने का प्रयास करती है । यहॉ पर उस पर प्रयोग किया गया बल कैसा है जो निर्भर करता है कि वह पहले तीब्र गति से धूमती है अर्थात एग्रावेशन होता है इसके बाद वह अपने सामान्‍य स्थिति मे आ जाती है ,
होम्‍योपैथिक चिकित्‍सा में औषधियों को किस शक्ति या पोटेंसी में देना है यह पूर्व से ही निर्धारित है ।
1- दशमिक क्रम की दवा :- दशमिक क्रम की दवा जैसे 1-एक्‍स ,2एक्‍स से लेकर 30-एक्‍स तक की औषधियों को हम दिन में तीन बार दे सकते है । परन्‍तु यह रोग स्थिति के अनुसार एक एक दो दो घन्‍टे के अन्‍तर से भी दे सकते है ।
2-शतमिक क्रम की औषधियॉ :- शतमिक क्रम की औषधि में 1सी से लेकर 30-सी पोटेंसी की दवा हम दिन में तीन बार दे सकते है परन्‍तु रोग स्थिति के अनुसार इससे भी कम अंतराल में दी जा सकती है यह रोग और औषधि पर निर्भर करता है ।
3-शतमिक क्रम की उच्‍च शक्ति की औषधिय:-शतमिक क्रम शक्ति की उच्‍च शक्ति की दवा जैसे 200 सी पोटेंसी को सप्‍ताह में एक बार देते है ,1-एम पोटेंसी की दवा को पन्‍द्रह दिन में एक बार दिया जाता है तथा सी0 एम0 तथा 10 एम0 तथा एम0 एम0 शक्ति की दवा माह में एक बार दिया जाता है । यह एक सामान्‍य नियम है परन्‍तु यह चिकित्‍सकों के विवेक पर निर्भर करता है कि वह रोग स्थिति एंव औषधियों के अनुसार औषधियों के अन्‍तराल व पोटेंसी को सुनिश्चित करे    
दवा की मात्रा :- यदि पिल्‍स में दवा देना है तो बयस्‍कों को छै: गोलीयॉ दी जा सकती है यदि कोई भी दवा लिक्विड में देना हो तो पॉच तीन बूद दी जा सकती है । मदर टिंचर में दवा देना हो तो कम से कम पन्‍द्रह से बीस बूंद तक दवा आधे कप पानी मे दी जा सकती है ।
बच्‍चों को इसकी मात्रा आधी कर देना चाहिये ।
औषधिय की कार्यक्षमता बढाना :- वैसे तो प्रत्‍येक होम्‍योपैथ चिकित्‍सक अपनी औषधियों को पहले से ही ग्‍लूबिल्‍स (शुगर आफ मिल्‍क की छोटी छोटी गोलीयॉ) में बना कर सुरक्षित रख लेते है । इसी प्रकार कुछ चिकित्‍सक लिक्विड में विभिन्‍न प्रकार की पोटेंसी की दवाओं को रखते है । जहॉ तक सवाल है होम्‍योपैथिक औषधियॉ शक्तिकृत या तनुकृत होती है यदि लिक्विड में देना है तो उसे थोडे से झटके लगा कर देना उचित है इसी प्रकार मरीज से कहे कि वह दवा को लेने के पहले थोड सा झटके लगा कर उपयोग करे । ग्‍लूबिल्‍स की दवा को पानी में घोल कर झटके देकर लेने से परिणाम अच्‍छे मिलते है ।
होम्‍योपैथिक ग्‍लूबिल्‍स:- होम्‍योपैथिक की छोटी छोटी गोलियों को हम ग्‍लूबिल्‍स कहते है यह नम्‍बर 10 ,20 से लेकर 30 तक में मिलती है यह शुगर आफ मिल्‍क से बनी गोलियॉ होती है । प्राय: नम्‍बर 30 ग्‍लूबिल्‍स का ही प्रयोग अधिक प्रचलन में है । इन गोलियों में यदि दवा बना है तो गोलीयों को पहले किसी खाली शीशी में भर लीजिये इसके बाद उसमे जो भी शक्तिकृत्‍ा औषधि को मिलाना हो उसे इतना डाले ताकि गोलीयॉ तर हो जाये ।
लिक्‍वीड फार्म में दवा बनाना:- यदि आप किसी मरीज को तरल रूप में दवा देना चाहते है तो इसके दो तरीके है । पहला तरीका है आप जो भी शक्तिकृत दवा को देना हो उसे आप रेक्‍टीफाईड स्‍प्रीड में छै: बूंद डालकर दवा बना सकते है । या फिर शुद्ध पानी में दवा की एक छै: बूंदे डालकर बना सकते है । ग्‍लूबिल्‍स की अपेक्षा लिक्विड में दवा को देने से यह लाभ होता है कि मरीज जब भी दवा का प्रयोग करता है उससे कहे की दवा झटके देकर ले इससे परिणाम अच्‍छे मिलते है ।
दवा का बाह्रा प्रयोग :- होम्‍योपैथिक की कई दवाओं का बाह्रा प्रयोग किया जाता है जैसे जल जाने पर कैंथरीज , आर्टिका यूरेंस , धॉवों पर कैडेन्‍डुला आदि और भी कई दवाये है जिनका प्रयोग बाह्रा प्रयोग के लिये किया जाता है इन दवाओं को मदर टिंचर या मूल अर्क में लेकर पानी में मिला कर लगा सकते है या फिर यदि आप को मलहम बनाना हो तो पेट्रोलियम जैली बेसलीन बिना खुशबू वाली लेकर उसमें इतना मिलाते है ताकि बेसलीन का रंग औषधिय के रंग जैसा हो जाये यदि तरल रूप में लिक्‍वीड में बनाना है तो आप ग्‍लीसरीन प्‍यूर का प्रयोग कर सकते है इसमें जो भी दवा बनाना हो उसे मूल अर्क में लेकर इतना मिलाये जिससे ग्‍लीसरीन का रंग औषधिय के रंग जैसा हो जाये । कुछ मूल अर्क को तेल आदि में भी मिला कर प्रयोग किया जा सकता है ।  


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