स्क्रोफोलोसो समूह:-
क्र0
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औषधि
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शरीर के प्रमुख अवयव
जिन पर दवा कार्य करती है
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कार्य
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प्रकृति
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रोग
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1
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स्क्रोफोलोस-1
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यूनिवसल रिमेडिस (सभी रोगो की औषधि) पाचन संस्थान के अबयवो
पर एंव उनसे सम्बन्धि अंगो पर कार्य करती है
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शरीर के रस विकृति को ठीक करती है
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रस प्रकृति
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इस औषधिय का प्रथम
प्रभाव अमाश्य पर है उसके बाद लसिका संस्थान
पर होता है रस के दुषित होने पर उत्पन्न होने वाले रोग जैसे शरीर के आंतरिक
रसो की विकृति से उत्पन्न दोष,पाचन क्रिया में बाधा, कब्ज शरीर के रसायनिक, खनिज
तथा अकार्बनिक परिवर्तन जो रस के माध्यम से पूर्ण होते है । इनके कार्यो में आई विषमता
के कारण उत्पन्न दोष , विजातीय तत्वों का
शरीर से न निकलना आदि
यह दबा शरीर रसो को ठीक करती है व रस से सबन्धित
रोग व निर्बलता को दूर करती है ।
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2
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स्क्रोफोलोसा-2
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इस दबा का सर्वप्रथम प्रभाव मूत्राश्य पर तत्पश्चात किडनी
पर है
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मूत्र वाहक संस्थान पर दबा के प्रभावी होने के कारण मूत्राश्य
की पथरी या मूत्राश्य व किडनी के रोगो हेतु प्रयोग की जाती है
शरीर से विजातीय तत्वो को बाहर निकालना
2-यकृत के कार्य पर प्रभाव रखती है पित्त बनाती है आंतों के
पाचन में जो कि पित्त के बेकायदा ऑत में न गिरने से उत्पन्न होता है ।
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रस प्रकृति
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इस दबा का प्रभाव एस-1 से अच्छा है एंव यह सर्व प्रथम मूत्राश्य पर कार्य करती है
तत्पश्चात इसका प्रभाव किडनी पर होता है । अतः इससे सम्बन्धित सभी रोगो पर इस दबा
का उपयोग होता है
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3
| स्को्रफोलोसो-3 |
1-संवेदन शील स्नायु तन्त्र
2-त्वचा रोग
3-पिताश्य पर प्रभावी
4-मोटर
नर्व, तथा
स्पाईनल नर्व |
एस-3
को चर्मरोग की औषधि कहा जाता है । सभी प्रकार के असाध्य चर्म रोगो की यह महौषधि है
इस प्रभाव शरीर के संवेदनशील स्नायु तंत्र (सेन्सरी नर्व)पर होता है अतः शरीर की
संवेदना से सम्बन्धित ब्याधियों पर । इस दबा का प्रभाव त्वचा के निचले भागो में
होता है ,यह दबा स्पर्श या संवेदना शक्ति को
उत्तेजित करती है ।
2--इस
का प्रभाव मोटर नर्व पर होता है
3-इसका प्रभाव सुष्म्ना स्नायु पर होता है | मिक्स प्रकृति |
1-संवेदन
शील स्नायुओ पर प्रभावी होने के कारण इसका प्रभाव जननेन्दीयो पर होता
है इसलिये इसका प्रयोग जननेन्दीय सम्बन्धित रोगो में ।
2-इस
दबा का प्रभाव सुष्म्ना स्नायु , संवेदनशील स्नायु एंव मोटर नर्व पर होने के कारण उनसे
सम्बन्धित रोगो पर किया जाता है । जैसे जननेन्दीय रोग , मस्तिष्क पीडा बेहोशी मृगी या इन नर्व
से सम्बन्ध रखने वाली ब्याधियो पर ।
3-ऐसे र्दद जो उक्त नर्व की वजह से हो । मॉसपेशियों या जोडो
के र्दर्दो पर |
4
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स्क्रोफोलोसो-4
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1-इस दबा का प्रभाव पित्ताश्य यकृत ,आत्र,वृक्क मूत्राश्य
एंव मूत्र प्रणाली पर है ।
2-इसका प्रभाव प्रधान रूप से गालब्लेडर और यूरेनरी ब्लेडर
को सुकोडने वाली मॉस पेशियो में है
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1-इस दबा में स्क्रोफोलोसोस -2 एंव बेनेरियो-1 के गुण सम्मलित
होते है । अतः जब इन दोनो दबाओ की आवश्यकता हो तब एस-4 से यथोचित परिणाम प्राप्त
किया जाता है ।
2-गाल ब्लेडर एंव यूरिनरी ब्लेडर से सम्बन्धित रोगो पर
3-किडनी व ऑतों के रोगो पर
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रस प्रकृति
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1--दबा
का प्रभाव पित्ताश्य,यकृत,आंत्र,वृक्क ,मुत्राश्य एंव मूत्र प्रणाली पर है । अतः
इन अवयवो से सम्बन्धित रोगो पर इस दबा का प्रयोग किया जाता है ।
2-स्त्री पुरूष के जननेन्द्रिय रोग जैसे सुजाग , उपदंश,मुत्राश्य के धॉव मूत्राश्य का जीर्ण प्रदाह आदि
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5
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स्कोफोलोसो-5
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विशेष रूप से इस का प्रभाव अंग संचालन स्नायुओं एंव चालक पेशियों
(मोटर नर्व एंव मूविग पार्ट, मोटर मसल्स)पर है ।
2-इस दबा का विशेष प्रभाव सुष्म्ना नाडी पर होता है परन्तु
इसका विशेष प्रभाव मोटर नर्व पर है ।
3-इस दबा का प्रभाव पिताश्य पर भी होता है । इसलिये यह पाचन
व यकृत के कार्यो को ठीक करती है ।
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1-इसे ग्रन्थि सम्बधित रोगो की औषधि कहा जाता
है इस दबा का प्रभाव सुष्मणा नाडी (स्पाईनल नर्व) पर है परन्तु प्रमुख रूप से मोटर
नर्व पर एंव पिताश्य पर है । इसीलिये इनसे सम्बन्धित रोगो पर इस दबा का प्रयोग किया
जाता है ।
2-इस दबा में एस-2 और एस-3 के बहुत से गुण सम्मलित है ।
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रक्त वात पित्त
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यूरिक ऐसिड जमा होने पर एस-5 अत्यन्त लाभदायक है ।
त्वचा सूत्र एंव त्वचा रोग
एस-3 की अपेक्षा अधिक लाभदायक
मॉसपेशियों को सुकोडने और फैलाने का कार्य करती हैं । इसलिये
दर्द लकवा या मॉसपेशियों की रूकावट में सभी तरह के दूषित पदार्थो को धोल देती है
। पथरी, वक्क पथरी ।
यकृत के संधातिक रोग या हेपेटाईटिस का बढना
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6
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स्क्रोफोलोसो-6
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यह दबा सबसे पहले किडनी पर अपना प्रभाव दिखलाती है तत्पश्चात
मूत्रा प्रणाली पर
अर्थात एस-2 से
उल्टा
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1-इसे वृक्क की औषधि कहा जाता है । इसका प्रभाव
सर्वप्रथम किडनी पर होता है । इस लिये किडनी से सम्बन्धित रोगो पर इसका प्रयोग किया
जाता है ।
दबा के कार्यानुसार यह दबा किडनी पर सर्वप्रथम अपना प्रभाव
दिखलाती है तत्पश्चात मूत्राश्य पर अतःपहले किडनी रोगो पर विचार कर दबा का प्रयोग
करते है बाद में मूत्राश्य सम्बन्धित रोगो पर विचार किया जाता है ।
2-एस-6 शरीर के उन खनिज पदार्थो पर अच्छा काम
करती है जिसमें हिद्रय धमनी या गठिया की स्क्रेरोसिस जमा रहती है । जबकि एस-5 यूरेट
से सम्बन्धित कणों को शरीर से बाहर निकालती है ।
3-एस-6 वृक्क की पथरी
की विशेष दबा है , एस-6 शरीर के बेकार
और अधिक खनिज पदार्थो को जो शरीर के सूत्रों में जमा होते रहते है । वृक्क के कार्यो
को तीब्र करके मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकाल देता है । और ऐसे खनिज पदार्थो
को मॉसपेशियों के सूत्रों संधियों और अवयव से निकाल बाहर करता है ।
एस-6 को गठिया जोडो मॉस पेशियों के सूत्रों के विजातीय खनिज
पदार्थो को संन्धियो से बाहर निकालने के काम आता है ।
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मिक्स प्रकृति
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किडनी रोग,मूत्राश्य सम्बन्धित ब्याधियॉ, पथरी या शरीर में विजातीय तत्वों के जमने पर । उदाहरण हमारे
शरीर के रसायनिक खनिज व अकार्बनिक परिवर्तनो के कारण कई विजातीय तत्व बनते रहते है
जिनका शरीर के स्वाभाविक मागो से निकलना आवश्यक है परन्तु यदि ये शरीर में चाहे वह
कैल्श्यिम ,यूरिक ऐसिड,या अन्य खनिज रसायन रूप में हो शरीर को नुकसान पहुचाते है
इस दबा के सिद्वान्त के अनुसार यह ऐसे तत्वों को मूत्र मार्ग से बाहर निकालने में
सक्क्षम है । इसीलिये पथरी या मॉस पेशियों जोडो आदि में जमे विजातीय तत्वों को यह
बाहर निकाल देती है ।
2-इस दबा का प्रभाव मूत्र संस्थान पर है अतः इसका प्रयोग स्त्री
पुरूष के जननेन्द्रीय रोगो पर होता है ।
3-शरीर से खनिज पदार्थो को बाहर निकालने के कारण जोडो के र्दद
या गढिया पर प्रयोग की जाती है ।
4-मॉस पेशियो की दुर्बलता व कमजोरी मे
5-बहूमूत्र, मूत्राश्य
रोग, हिदय, किडनी रोग
6-इस दबा का प्रकृतिक गुण पथरी नाशक कढमाला नाशक, रक्त व रस शोधक प्रदाह नाशक, त्वचा रोग
पेशाब लाने बाली, हिद्रय
धमनी के कडे पड जाने पर
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7
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स्क्रोफोलोसो-7
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इस दबा का प्रभाव विशेष रूप से मस्तिष्क तथा अन्तःस्त्रावी
ग्रथियों , रस स्त्रावी ग्रथियो, धमनी ,छोटी छोटी केशिकाओं,
अमाश्य पर
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इस दबा में एस1 एंव
ए-1 दवाओ को एक निश्चित अनुपात में होता है ।
अतः इन दबाओ से सम्बन्धित रोगो पर
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रक्त व रस
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जिन रोगो में एस-1 एव ए-1 देने की आवश्यकता हो वहॉ पर इस दबा
का प्रयोग करना चाहिये ।
इस दबा के डायल्यूशन का प्रयोग नही होता
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8
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स्क्रोफोलोस-8
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इसका प्रभाव प्रधान रूप से आमाश्य के स्नायुसूत्रो ,रस संस्थान के अवयवो के सूत्रों,रक्त कणों,हिद्रय,रक्त प्रणालियों,अस्थि
मज्जा, प्लिहा और यकृत पर है ।
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1-इस दबा का प्रभाव आमाश्य के रस संस्थानो पर है ।
2-इसके साथ यह रक्त प्रणालियो को सुधारती हे ।
3-इस दबा में एस1एंव ए-3 का मिश्रण है अतः एस-1एंव ए-3 से सम्बधित रोगो की क्रियाओ मे प्रयोग की
जाती है ।
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यह दबा पित प्रकृति के रोगियो के जो रक्त प्रकृति की ओर जा
रहे हो एंव जिनमें रक्त से सम्बन्धित रोग
हो
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इस दबा मे चूंकि एस-1 एंव ए-3 दबा है अर्थात एस-1 रस को सुधारती है वही ए-3
रक्त वर्धक है जो रक्त की खराबीयो को सुधारती है । इसलिये जहॉ पर इन दोनो दबाओ को
देने की अवश्यकता हो वहॉ पर इस दबा का प्रयोग किय जाता है ।
यह पाचन संस्थान,रस विकार, रक्त समबन्धित विकार रक्त का पतला पडना डब्लू0 बी0 सी0 या
आर0 बी0 सी0 का कम होना ।
रक्त रस की वजह से उत्पन्न रोग व कमजोरी में ।
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9
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स्क्रोफोलोस-9
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यह दबा विशेष रूप से सिम्फाईटिक नर्वस पर विशेष रूप से प्रभाव
डालती है।
2-इसका प्रभाव प्रधान रूप से समस्त लसिका सम्वर्तक, आमाश्य
पक्वाश्य आत्र यकृत प्लीहा और त्वचा की ग्रन्थियो पर है ।
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एस-5 एव एफ-1 समान
मात्रा में मिलाकर यह दबा बनी है अर्थात इसका उपयोग एस-5 एंव एफ-1 के अनुसार किया जाता हे ।
2-यह दबा सिम्फाईटम स्पाईरनल कार्ड, गैंगलियोनेट कार्ड
एंव सोरेलप्लैक्स पर गहरा प्रभाव रखती हे ।
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बात पित्त एंव रस
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इस दबा में एस-5 एंव एफ-1 समान मात्रा में मिली है अतः इसी प्रकार के रोगो पर प्रयोग
की जाती है ।
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10
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स्क्रोफोलोस -10
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इस दबा का प्रभाव प्रधान रूप से भोजन मार्ग और लसिका संस्था
में भाग लेने वाले समस्त अवयवो एंव लसिका संस्थान के माध्यम से सम्पूर्ण स्नायु संस्थान
पर है किन्तु विशेष रूप से परान्तस्थ स्नायु सहायक संस्थान सिम्पाईटिक नर्वस सिस्टम
पर है । परान्तस्थ स्नायु सहायक स्नायुयो के सूत्रो पर प्रभावी होने से यह सैलेबरी
गेल्डस, स्वर यत्र वायु नली,फेफडे क्लोम ग्रन्थि,यकृत, एपेन्डेक्स आदि भोजन के आस पास के सभी अवयबो के स्नयु सूत्रो
को भी यह प्रभावित करती है इसके अतरिक्त स्नायुवतल सौरल प्लेक्सेस एंव सैरेब्युलम
,मल निष्कासन संस्थान के सभी अवयवो और त्वचाओं
के स्नायु सूत्रो को भी यह प्रभावित करती है
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1-इसे पाचन संस्थान की औषधि कहॉ जाता है । एस- 1 दबा अमाश्य
अर्थात पाचन की दबा हे जबकि एफ समूह की दबा रक्त प्रणालियो के चालन के वात सूत्रों
पर विशेष प्रभाव रखती है । यह रक्त संचालन करने वाले अवयावो को काम करने योग्य बनाती
है । यह ज्वर की सवौतम दबा है
2- एस-10 अमाश्य के बात सूत्रों की निर्मलता दूर करती
है सिम्फाईटिक प्लेक्स पर कार्यकरती है । इस दबा का प्रभाव बेगस वात नाडीयों पर होने के
कारण यह कै तथा बातज खराबीयो को दूर करती है । त्वचा और उनके बात सूत्रो पर
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मिक्स प्रकृति
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शक्तिवद्र्वक, रस
दोषो को दूर करने वाली, एस एंव एफ समूह के
रोगो पर, रोगो से सुरक्षित रखने वाली, ज्वर नाशक,हैजा नाश्ज्ञक ,उल्टी रोकने वाली
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11
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स्क्रोफोलोस-11
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इस दबा का विशेष प्रभाव बेगस नर्वस पर
अमाश्य और हलक की बात नाडियो पर है
2-स्पाईनल नर्वस
3-गर्भावस्था की मचली
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नवस बेगस तथा अमाश्य हलक की बात नाडियो पर प्रभावी होने से
यह उल्टी ,कै , दस्त एंव मस्तिष्क पीडा को रोकती है
उक्त नाडियों पर प्रभावी होने से यात्रा या धूमने वाली चीजो
पर धूमने से चक्कर व उल्टीयों में इसका प्रयोग किया जाता है ।
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किसी भी प्रकृति पर उपयोग की जा सकती है
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1-कै मतली रेल जहाज या वाहन आदी पर यात्रा करने से जो उल्टीया
मती या चक्कर आदी आते हो तो इसका प्रयेग किय जाता है
आधासीसी का र्दद
भोज्य पदरर्थो के बाहर न निकलने के लिये प्रयोग की जाने वाली
अच्छी दबा है
इसके डायल्युशन का प्रयोग नही होता
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12
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स्क्रोफोलोस-12
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ऑखों व ऑखों के कार्निया पर
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इसे ऑखों के रोग की औंषधि कहॉ जाता है नेत्र पर प्रभावी व
कारगर दबा है
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नेत्र प्रदाह, मोतियाबिन्द, प्रारम्भिक अवस्था का धुधलापन, नेत्र पटल पर धब्बे, वृद्वावस्था का मोतियाविन्द मधुमेह में होने वाले नेत्र रोग
आदि
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13
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स्क्रोफोलोस-13
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इस दबा का प्रभाव प्रधान रूप से पाचन संस्थानो एंव मल निष्कासन
संस्थानो के अवयवो पर है
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पाचन संस्थान पर प्रभावी
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यह दबा खाध्य पदार्थो के उपयोगी तत्वो को शरीर के उपयोग में
लाती है एंव ब्यर्थ पदार्थो को निकालती है
मधुमेह बहुमूत्र
अभी तक इसके डायल्युशन का प्रयोग नही किया गया
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14
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स्क्रोफोलोसो लासटिवो
एस लास
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इस दबा का प्रभाव आन्त्र पर है जिसके कारण यह उसे उत्तेजित
करती है
2-आन्त्र की श्लैष्मि कला विशेषकर वृक्क, अन्त्र की ग्रन्थियॉ और उसकी बात नाडियों पर
3-ऑतो की ग्रन्थियों, इन्टेस्टिनल ग्रैन्डस
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इसे कब्ज की औषधि कहॉ जाता है आन्त्र की श्लैष्मिक कला पर
व उसकी बात नाडियो पर प्रभावी होने से कब्ज हेतु प्रयोग किया जाता है ।
2- इसका पाचन रोग में प्रयोग किया जाता है
3-ऑतों एंव उनके स्नायुओ पर प्रभावी होने से आन्त्र को उत्तेजित
करके निसरण क्रिया को नियमित और संतुलित करती है
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कब्ज जो अन्य दबाओ से ठीक न हो या कब्ज के कारण अन्य रोग हो
जीर्ण प्रकार का कब्ज, पेट में गैस बायु तनाव व इसके कारण
अफरा, कै मतली व चक्कर आदि में उपयोगी है
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G:\BC-Year-2016-17\Electrohomeopathic\SCRO
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