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सोमवार, 9 नवंबर 2020

बिवाई रोग एव होम्योपैथी उपचार





 

सिरदर्द के रोग




 

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

वेनेरियो - 1

 वेनेरियो - 1

Ven 1 

जैसा कि इसके नामं से स्पष्ट है 

कि यह औषधि वेनेरियल डिजीज को जड़ से नष्ट कर देती है । 

इस औषधि का दूसरा नाम कांस्टीट्यूशनल औषधि है।

यह औषधि शरीर के भौतिक या प्राकृतिक बनावट या इसके कार्य के ढंग मेटाबोलिक प्रोसेस की पूर्ति, प्रतिक्रियाओं की उत्तेजना हेतु तरीका एवं पैथोजेनिक आर्गैनिज़्म के रोकने की दवा है। 

प्रत्येक प्रकृति वाले व्यक्तियों के अनुकूल है।

इस औषधि का प्रभाव ग्रंथियों, लसिका संस्थान, रक्त संस्थान , ऊतकों , मांस पेशियों आदि पर होने के कारण ये औषधि 

S ग्रुप , C ग्रुप &  A ग्रुप की भाँति कार्य करती है।


S1 की तरह ही इस औषधि का प्रभाव यूनिवर्सल है , शर्त सिर्फ यह है कि रोग वेनेरियल कारणों से उत्पन्न हुआ हो ,

यह दवा एक एंटीसेप्टिक भी है ।

 S1के बाद ये इलेक्ट्रो होम्योपैथी के सर्वश्रेष्ठ दवा मानी जाती है 

जो लगभग 80% लोगों को नष्ट करने की शक्ति रखती है ।

 टिश्यू / ऊतकों  पर प्रभाव होने के कारण कैंसर में कैंसर ओशो श्रेणी की औषधियों के सहायक औषधि मानी जाती है


ग्रंथियों की शैलेस्मिक कलाओं एवं लसिका  पर प्रभाव होने के कारण 

S ग्रुप की दवाओं के सहायक औषधि है 

रक्त एवं रक्त परिसंचरण तंत्र पर प्रभावी होने के फलस्वरुप A श्रेणी की औषधियों के सहायक है।

 यदि इस औषधि की 5 गोली प्रतिदिन ली जाए तो, सुजाक एवं उपदंश जैसे रोग से सुरक्षा करती है।

 विनेरियल रोग की शंका हो गई हो ,

तो नेगेटिव डोज़ का  प्रयोग करना चाहिए।

यह औषधि संपूर्ण शरीर पर प्रभाव रखती है ।ग्रंथियों एवं शैलेस्मिक कलाओं पर विशेष प्रभाव होने के कारण चयापचय की कार्यविधि पूरा होने में सहयोग करती है।

जीर्ण रोगों में जिसका कारण कृमि के अतिरिक्त वायरस है। शरीर को दुबला बना देती है ऐसी स्थिति में ver 1की तरह ven 1 काम करती है।

 इस पैथी में जननेंद्रियों पर कार्य करने वाली सर्वश्रेष्ठ औषधि C1 है , 

जननेन्द्रियों पर सबसे अधिक प्रभाव रखने वाली वेनेरियों एकमात्र औषधि है 

जननेंद्रियों में योनि,  गर्भाशय , डिंब , डिंब प्रणाली , भग , प्रोस्टेट अंडकोष , मूत्रमार्ग की ग्रंथियां एवं शैलेस्मिक कलाओं पर विशेष प्रभाव है।

कुछ ऐसे रोग जो पहले स्थानीय मालूम पड़ते हैं। लेकिन धीरे-धीरे संपूर्ण शरीर के सूत्रों ग्रंथियों एवं तरल में रक्त एवं लसीका द्वारा अपना विष पूरे शरीर में फैला देते हैं ।


जिस के कारण शरीर के प्रत्येक शैलेस्मिक कलाओं ग्रंथियों , मुंह, जीभ जननेंद्रियों,  हलक , आंख नाक इत्यादि ग्रंथियों अंडकोष एवं आँतो  ग्रंथियां , मांस पेशियों,  सूत्रों , त्वचा , हड्डी , तरुण अस्थि ,  तंत्रिका तंत्र एवं मस्तिष्क आदि में ट्यूमर,  नासूर,  हड्डी का गलना,  उभार , घाव , नामर्दी , बांझपन , स्पर्म एवं ओवम का मरना , टीo बी o,

कैंसर इत्यादि भयंकर रोग उत्पन्न हो जाते हैं। 

 जिनमें विरोधियों के साथ इसकी सहायक औषधियां प्रयोग किया जाता है ।

वेनेरियल डिजीज  छूत का रोग है । जो एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचता रहता है । 

मनुष्य के मरने के बाद विरासत के रूप में मां बाप से बच्चों , नाती-पोतों तक रूप बदलकर  भगंदर नाकड़ा,  दमा , कंठमाला रिकेट्स , अकौता , गठिया  इत्यादि के रूप में सामने आता है 

 ये वेनेरियल डिजीज अन्य माध्यम की अपेक्षा सेक्स प्रसंग यानी सेक्स से ज्यादा फैलता ह

आज कल बाजार में कुछ ऐसे तत्व का प्रचलन बहुत जोरों पर है । जिस के प्रयोग से रोग दबकर असाध्य हो जाता है । 

तथा जिंदगी भर किसी न किसी रूप में परेशानियां देता रहता है 

इन तत्वों का प्रयोग उपदंश एवं सुजाक में इंजेक्शन के रूप में किया जाता है ।

 जब कि अकौता एवं मरकरी का प्रयोग मल्हम के रूप में प्रयोग करके तत्काल आराम देते हैं। जिससे रोग पुराना हो जाता है ।

कभी-कभी प्रोस्टेट ग्रंथि में प्रदाह /सूजन, वृक्क तथा मूत्राशय की रेजिस , अंडकोष में सूजन, मूत्रमार्ग की शैलेस्मिक कला में मांस का बढ़ जाना,  जिससे मूत्र मार्ग सिकुड़ जाता है। सुजात जीर्ण  रूप धारण कर मूत्राशय की प्रदाह से बढ़कर मूत्र मार्ग तथा किडनी में पैदा कर देता है ।  

या सभी क्रियाएं कुछ ऐसे रासायनिक तत्वों के प्रयोग से होती है 

जोकि सुजाक में तत्काल आराम करके रोक को दबा देती है

 कैंसर एवं उपदंश में पारे के प्रयोग भयंकर परिणाम देता है । शंका के कारण त्वचा रोगों में  सुजाक का इलाज मरकरी से प्रारंभ कर देते हैं ।

त्वचीय  दाने का इलाज मरकरी से बनी दवाओं से किया जाता है ।

दुष्परिणाम ये होता है कि शरीर में कुछ ऐसे लक्षण उभर आते हैं 

जो कि उपदंश दूसरे या तीसरे दर्जे या पैतृक रोगों से मिलते-जुलते लगते हैं।

S1 के साथ इस औषधि को देने से मरकरी का प्रभाव नष्ट हो जाता है।

ये औषधि वेन 1 प्राकृतिक रूप से सभी रोगों को नष्ट कर देती

सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के तत्काल प्रभाव को नष्ट कर देती है।

 त्वचा के नीचे छिपे दानों को उभार  कर तथा पसीने के रूप में विष को बाहर कर देती है

मूत्रमार्ग में उत्पन्न घाव को ठीक कर देती है , सिफलिस एवं गोनोरिया के प्राइमरी स्टेज को ठीक कर देती है।

सिफलिस के प्राइमरी एवं सेकेंडरी स्टेज,  कैंसर सिरदर्द , आइरेटिस ,  रेटिनाइटिस  , एलोपेसिया गंजेपन, नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम,  मैनिंजाइटिस , नसों का फ़ालिज /  लकवा,  हड्डियों का गलना मूत्र मार्ग में मांस का बढ़ना,  जोड़ों की शैलेस्मिक कला का प्रदाह ,  कंठमाला , पेशाब की पथरी , घाव ,चेचक का विष  एवं बात को दूर करती है ।

जननांगों के रोग गर्भाशय,  भग , गर्भाशय ग्रीवा आदि का कैंसर ट्यूमर रक्त एवं सफेद प्रदर , जननांग का फालिस , शिथिलिता बांझपन आदि में वेनेरियो प्रयोग किया जाता है।

कृपया सभी इलेक्ट्रो होम्योपैथी ग्रुप में पहुचाएं ।

डॉ. आर.के.त्रिपाठी

बलरामपुर

9935656181

Name Of 114 Medicinal Plant in Electropathy Medicines*

 *Name Of 114 Medicinal Plant in Electropathy Medicines* 


 *1 AVENA SATIVA* 

 

 *2. ARNICA MONTANA* 


 *3.  ANTHEMIS  NOBILIS* 


 *4.  ALLIUM SATIVA* 


 *5.  ALLIUM CEPA* 


 *6.  ALTHAEA  OFFICINALIS* 


 *7.  ALOE  CAPENIS* 


 *8. AILANTHUS  GLANDULOSA* 


 *9.  AGARICUS  MUSCARIUS* 


 *10.  AESCULUS  HIPPOCASTANUM* 


 *11.  ADIANTHUM  CAPILLUS VENERIS* 


 *12. ACONITUM  NAPELLUS* 


 *13.  ABROTANUM* 


 *14.  ATROPA  BELLADONA* 


 *15.  BERBERIES  VHLGARIS* 


 *16.  BETULA  ALBA* 


 *17.   CANABIS  SATIVA* 


 *18.   CAPSELLA BURSA PASTORIS* 


 *19. CARDUOUS  BENEDICTUS* 


 *20. CAULOPHYLLUM* 


 *21. CETRARIA  ISLANDICA* 


 *22.   CHAMOMILLA* 


 *23.  CHINOPODIUM* 


 *24.   CHELIDONIUM  MAJUS* 


 *25.  CIMICIFUGA  RACEMOSA* 


 *26.  CINA* 


 *27.  CINCONA  CALISAYA* 


 *28.  CINCONA  SUCCIRUBA* 


 *29.  CLEMATIS  ERECTA* 


 *30.  COCHLERIA  OFFICINALIS* 


 *31.  CONDURANGO* 


 *32.   CONIUM  MACULATUM* 


 *33.   DICTAMNUS  ALBUS* 


 *34.   DROSERA  RATANDIFOLIA* 


 *35.   DULCAMARA* 


 *36.  EUCALYPTUS  GLOBULUS* 


 *37.   ECHINACEA  ANGUSTIFOLIA* 


 *38.  ERYTHREA  CENTAURIUM* 


 *39.   EVONYMUM  EUROPENS* 


 *40.  EUPHRASIA  OFFICINALIS* 


 *41.  EQUISETUM* 


 *42.  ERVUM LENS* 


 *43.   EUPHORBIUM  OFFICINALIS* 


 *44.    FUCUS  VESICULOSUS* 


 *45.   GALEOPSIS  OCHROLEURA* 


 *46.  GENTIANA  LUTEA* 


 *47.  GLECHOMA  HEDERACEA* 


 *48. GAUIACUM  OFFICINALE* 


 *49.  GENISTA  SCORPARIA* 


 *50. HAMAMELIS  VIRGINICA* 


 *51.  HUMULUS  LUPULUS* 


 *52.  HYDRASTIS  CANADENSIS* 


 *53.  HYOSO  CYAMUS NIGER* 


 *54.  IMPERATORIA  OSTHRUTIUM* 


 *55.  IPECACUANHA* 


 *56.   LEDUM PALUSTRE* 


 *57.  LOBELIA  INFLATA* 


 *58.   LYCOPODIUM  CLAVATUM* 


 *59.  MALVA  SILVESTRIS* 


 *60.   MELLISA  OFFICINALIS* 


 *61.  MILLIFOLIUM* 


 *62. MEZERIUM* 


 *63.  MYRTUS  COMMUNUS* 


 *64. MENYANTHES  TREFOLIATA* 


 *65. NASTURTIUM  OFFICINALE* 


 *66.   NUXVOMICA* 


 *67.  OXALIS ACETOSILLA* 


 *68.  PETRO SELINIM SATIVUM* 


 *69.  PHELLANDRIUM  AQUATICUM* 


 *70.  PHYTOLACCA  DICANDRA* 


 *71.   PIMPINELL  SEXIFRAGA* 


 *72.  PINUS  MASITIMA* 


 *73.   PINUS  NIGRA* 


 *74.  PODOPHYLUM PELTATNUM* 


 *75.  POLYGORA  AMARA* 


 *76.   POPULUS  ALBA* 


 *77.   POPULUS  TRCMULADIN* 


 *78.   PULMONARIA  OFFICINALIS*

 

 *79.  PULSATILLAXLIGRACUS* 


 *80.  RHEUM PALMATUM* 


 *81. ROSA  CANINA* 


 *82.  RHODODENDRON* 


 *83.  RHUS  TOXICODENDRON* 


 *84.  RHUS  AROMATICA* 


 *85.  ROSA MARINUS  OFFICINALIS* 


 *86.  RUTA  GRAVEOLEUS* 


 *87.  SALIX  ALBA* 


 *88.  SALVIA OFFICINALIS* 


 *89.   SALVIA  SCLAREA* 


 *90.  SUMBUCUS  NIGRA* 


 *91.  SANGUISORBE  OFFICINALIS* 


 *92.  SANGUINURIA  CANADENSIS* 


 *93. SCROFULARIA  NODOSA* 


 *94.   SCOLOPEINDRIUM  VULGARE* 


 *95.  SIMARUBA  AMARA* 


 *96.  SMILAX  MEDICA* 

 

*97.  SOLIDAGO  VIRGAUREA* 


 *98.  SPIGELLIA  ANTHELMIA* 


 *99.  STEFFENSIA  ELONGATA* 


 *100.  SYMPHYTUM  OFFICINALE*


 *101.   TENTACETUM  VULGARE* 


 *102.  TARAXCUM  OFFICINALIS* 


 *103.  TAXUS BACCATA* 


 *104.  TEUCRIUM  SCORODONIA* 


 *105.  THUJA  OCCIDENTALIS* 

 

*106.  THYMUS  SERPILLIUM* 


 *107.  TILIA  EUROPAEA* 


 *108.  TUSSILAGO  FAREFARA* 


 *109.   VERONICA  OFFICINALIS* 


 *110.  VIBURNUM OPULUS* 


 *111.   VINCA MINOR* 


 *112.   VINCETOXICUM  OFFICINALE* 


 *113.  VISCUM  ALBUM* 


 *114.  VITIS  VINIFARA*

डयलूशन बनाना Dr Ashok Kumar Singh

 ( 1  )

  नए चिकित्सकों के लिए D1 से चिकित्सा कार्य करने की विधि- आप पहले जिस किसी भी विधि से(D3, D4, D5, D6.... 1,2,3,30,200,MMG, या अन्य ) अपने चिकित्सा कार्य में दवा का व्यवहार करते हैं उसे करते रहें  लेकिन जहां सफलता नही मिले  या सफलता कम मिले  तो वही दवा वही मात्रा तथा वही विधि विधि   नेगेटिव और पॉजिटिव तथा  टेंपरामेंट देखें   बगैर , D1  मे प्रयोग करें तो इससे  ज्यादा  एवं तत्काल  सफलता  मिलता हैl

                                                                    ( 2 )

इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा विज्ञान में अंगो की चिकित्सा की जाती है|

 किसी भी मरीज में एक रोग या कष्ट नहीं होता है अक्सर मिलाजुला बहुत तरह का का कष्ट होता है, इसलिए जिस अंग में कष्ट है उसके अनुसार इलेक्ट्रो होमियोपैथी  दवा का एक मिक्सचर तैयार किया जाता है

 उदाहरण के लिए - जब कोई  मरीज क्लीनिक में आता है तो हम सभी चिकित्सकों का पहला सवाल होता है - आपको क्या तकलीफ या कष्ट है  

चिकित्सक मरीज के सभी कष्ट सुनने के बाद तथा जांच के बाद मरीज के अंग के गड़बड़ी के अनुसार 

S   ग्रुप से एक दवा  C   ग्रुप से एक दवा ,  रोग दाहिने तरफ या बाएं तरफ होने पर  A  ग्रुप से एक दवा (और दोनों तरफ होने पर  A ग्रुप से एक दवा अलग से दिया जाएगा|) 

 श्वसन संस्थान या फेफड़ों से संबंधी  कष्ट  होने पर P ग्रुप   से एक दवा

   क्रीमी, खुजली   संबंधित समस्या रहने पर  VER1 , 

दर्द या बुखार रहने पर  F   ग्रुप से एक दवा 

रोग या  कष्ट 30  से अधिक दिन का होने पर  VEN1  का भी   चुनाव करें

 सभी रोगों में  L1  का चुनाव करें

 आवश्यकतानुसार  ELECTRICITY  का चुनाव करें

ELECTRICITY में अगर समझ ना आए कि  कौन सी दवा दी जाए तो  WE   का चुनाव करें( ज्यादा जानकारी के लिए मेरे द्वारा लिखा गया इलेक्ट्रो होमियोपैथीक औषधियों की संक्षिप्त जानकारी   का अध्ययन करें)

 यह सभी दवा अवश्यकतानुसार  D1 में मिलाएं |

                                                                     ( 3 )

 यह समझ नहीं आए कि कितना मिलाएं 

तो  30 ML DW  मे 2-2  बूंद मिलाकर ,10 बूंद दवा 3  या 4  समय दिया जाता है   या  अवश्यकतानुसार   आधा घंटा पर या एक घंटा पर भी दिया जा सकता है

 जिस अंग में ज्यादा   कष्ट हो उस अंग की दवा अलग से गोली में भी बनाकर दिया जाता  है |

 जैसे - बहुत ज्यादा हड्डी के जोड़ में दर्द होने पर  C4 D1 गोली  मे  40 गोली तीन समय या एक- एक घंटा पर या 5-5 मिनट पर दिया जाता है , 

 फायदा होने पर तीन बार या मात्रा कम कर देना चाहिए|

 दस्त ज्यादा होने पर  S10  या  S3, C3 D1  मे  40 गोली आधा घंटा पर दिया जाता है   इससे तत्काल फायदा होता है  यानी कि आवश्यकता अनुसार दवा का व्यवहार किया जाता है|

                                                                  (  4  )

  S1 या  S2 D1  मे  भोजन के पहले 10 गोली तीन समय देना चाहिए

                                                                   ( 5 )

S10   D1  मे 10 गोली भोजन के बाद  तीन समय    दिया जाता है 

                                                                    (6)

 बाहरी प्रयोग- इलेक्ट्रो होमियोपैथी  मे बहुत तरह के बाहरी  प्रयोग की दवा दी जाती है जिससे कि बीमारी में बहुत फायदा होता है|

 कर्ण बिंदु- GE D1   पांच बूंद दवा 5 ML RS  मे मिलाकर  रुई से कान सफाई  करके , चार बूंद दवा रुई पर डालकर कान में सुबह शाम प्लग  करने से 3 से 4 दिन में कान बहना ठीक हो जाता है( दूध ,टमाटर, खट्टा, मांस, मछली ,अंडा नहीं खाना चाहिए) 

                                                                       ( 7 )

  दर्द संबंधी बाहरी प्रयोग मेंमें- S5, C5,A2, F2, WE, GE, BE  या  RE  आवश्यकतानुसार  D1 मे 4-4  बूंद दवा  100 ML  DW  मे मिलाकर   रोग स्थान पर तीन समय या  5-5  मिनट पर या   अवश्यकतानुसार व्यवहार करना चाहिए , विशेष परिस्थिति में फायदा कम होने पर   या नहीं होने पर  एक चम्मच दवा आधा कप गर्म पानी में मिलाकर कपड़ा भिगोकर 30 मिनट तक कंप्रेस ( पट्टी )रखना चाहिए  या अवश्यकतानुसार व्यवहार करें|

                                                                     ( 8 )

  चर्म रोग की  चिकित्सा में    चिकित्सकों को  E. H   की औषधि सप्ताह में 1 दिन  या 15 दिन के   अंतराल पर  देने से ज्यादा सफलता मिलती है|

                                                                      (9)  

 नए चिकित्सक मरीज को  इस तरह से परहेज बताएं-

 घाव फोड़ा फुंसी या  TISSUE    या  LYMPH संबंधित गड़बड़ी जैसे- खुजली , दिनाय, एग्जिमा, घाव ,फोड़ा, फुंसी सभी तरह की   खांसी  या  सभी तरह के स्राव युक्त पुराने रोग मे  LYMPHATIC SYSTEM  पर प्रभाव डालने वाले खाद्य पदार्थ का परहेज कराने पर कोई भी दवा  जल्दी काम करती है  जैसे- ( खट्टा, बैगन ,टमाटर, दूध,  शरीर में गंदगी उत्पन्न करने वाले  वाले  भोजन   मांस, मछली, अंडा  एवं चर्म रोग में  फायदेमंद  साबुन का सख्त परहेज करना  चाहिए

                                                                      (9)

 नए चिकित्सकों को सभी तरह के प्रचलित चिकित्सा विज्ञान में असाध्य कहे जाने वाले रोगों में निम्न सुझाव देना चाहिए

1) भोजन हमेशा अच्छी तरह से चबाकर करें

2) एक हाथ से अधिक वजन ना उठाएं दोनों हाथों का उपयोग करें

 3) खड़े होकर पानी नहीं पिए ( अंतः स्रावी ग्रंथि में भयंकर गड़बड़ी आती है तथा बहुत दिन बाद पता चलता है)  भोजन खूब चबाकर करना चाहिए

                                                                              (10) 

 RE  यथा  YE   एक साथ नहीं मिलाना चाहिए (परंतु बहुत जरूरी नहीं है) 

                                                                              (11)

 E.H  फिर चिकित्सकों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए

E. H  से आप जैसे या  जिस विधि से चिकित्सा करते हैं  और जब तक सफलता मिलती है तब तक ठीक है लेकिन सफलता कम मिलने पर - नाभि से नीचे का कोई रोग होने पर वही दवा वही मात्रा भोजन के आधा या एक घंटा पहले देते हैं तो ज्यादा सफलता मिलती है ,नाभि के ऊपर के रोग में खाना के आधा या 1 घंटा बाद दवा देते हैं तो ज्यादा सफलता मिलती है, नाभि से नीचे तथा ऊपर दोनों तरफ के रोगों में एक दवा खाना के पहले तथा एक दवा खाना के बाद देना चाहिए|

CRUDE SPAGYRIC ESSENCE पर चिकित्सकों को 40 परसेंट डिस्काउंट प्रावधान है ।

Dr Ashok Kumar Singh

E H medicine working

 SCROFOLOSO 1 = शरीर के ग्लैड्स की फिजियोलोजी बिगड़ने पर उन्हें ठीक करती है इसके व्यापक प्रभाव के कारण इसे युनिवर्सल रैमेडी का नाम दिया गया ह

SCROFOLOSO 2 = कफ प्रकृति  वालों का टॉनिक

SCROFOLOSO 3 = त्वचा रोगों पर लाभकारी

SCROFOLOSO 5 = लीवर पर प्रभावी

SCROFOLOSO 6 = किडनी पर कार्य करने वाली

SCROFOLOSO 10 = पाचन तंत्र पर प्रभावशाली

SCROFOLOSO 11 = मितली रोग को दूर करने वाली

SCROFOLOSO 12 = आँखों के रोगों को दूर करने वाली

SLASS = कब्ज़ को दूर करने वाली

CANCEROSO 1 = स्त्रियों का टॉनिक

CANCEROSO 2 = उतकों टिश्युअस पर प्रभावकारी

CANCEROSO 3 = त्वचा रोगों पर असरकारक

CANCEROSO 4 = हड्डी पर प्रभाव करने वाली

CANCEROSO 5 = लीवर पर प्रभावी

CANCEROSO 6 = किडनी पर कार्य करने वाली

CANCEROSO 10 = पाचन तंत्र को सामान्य करने वाली

CANCEROSO 13 = डीप्थ्रिया,आंव,दस्त को ठीक करने वाली

CANCEROSO 15 = अमाशय  के उतकिए रोगों को ठीक करने वाली

CANCEROSO 17 = मूत्र तंत्र के समस्त रोगों को दूर करने वाली

LINFATICO 1 = रस एवं  रक्त पर कार्य करने वाली

ANGITICO 1 = धमनियों पर प्रभावी

ANGITICO 2 = शिरायों पर प्रभावी

ANGITICO 3 = ह्रदय के समस्त रोगों पर प्रभावी

FEBRIFUGO 1 = मस्तिष्क पर बुखार आने पर

FEBRIFUGO 2 = तंत्रिकातंत्र के वाट सूत्रों पर

PETTORALE 1 = श्वसन अवस्था के रोगों की प्रथम अवस्था को ठीक करती है

PETTORALE 2 = श्वसन अवस्था के रोगों की द्वितीये अवस्था को ठीक करती है

PETTORALE 3 = स्त्रियों एवं बच्चों के श्वसन संस्थान के रोगों में आराम प्रदान करती ह

PETTORALE 4 = वृधावस्था के श्वसन संस्थान के रोगों में आराम दिलवाती है

VENEREO 1 = मेटाबोलिज्म को ठीक करने वाली

VERMIFUGO 1 = आंतो में उपस्थित किताडुओं को दूर करने वाली

VERMIFUGO 2 = कोई औषधि यदि कम करना बंद करदे तो वर २ की सहायता से पुनः कार्य चालू कर देती ह

WHITE ELECTRICITY = सफ़ेद बिजली -न्यूट्रल ,नींद लाने वाली,तंत्रिका तंत्र पर व्यापक प्रभावी

GREEN ELECTRICITY = हरी बिजली-शांति प्रदान करने वाली ,घाव को ठीक करने वाली

YELLOW ELECTRICITY = पिली बिजली-उत्तेजना को दूर करने वाली,पागल पन को ठीक करने वाली

BLUE ELECTRICITY = नीली बिजली-धमनियों पर प्रभावी,जलन को ठीक करने वाली

RED ELECTRICITY = लाल बिजली-तंत्रिका तंत्र पर कार्य करने वाली,उत्तेजना लाने वाली

AQUA ELECTRICITY = त्वचा रोगों पर प्रभावी


COMBINATION MEDICINES

SCROFOLOSO 4

SCROFOLOSO 7

SCROFOLOSO 8

SCROFOLOSO 9

SCROFOLOSO 13

PETTORALE 5 

PETTORALE 6 

PETTORALE 7

PETTORALE 8 

PETTORALE 9 

VENEREO  2                                                                                      

VENEREO  4

VENEREO 5 

CANCEROSO 7

CANCEROSO 8

CANCEROSO 9

CANCEROSO 11

CANCEROSO 12

ANGITICO 4

ANGITICO 5

LINAFATICO 2

Common medicine

 *Common Diseases:*

*1.Indigestion:*

S1 5 pills or drops and S10 5 pills or drops every ½ hour or 5 minutes..

Or

S5+C5 or S1+C5+S10


*2.Common cold:*

P1+P3+BE

or

C1+C5+S1


*3.Acidity:*

S5+C5+YE

or

A1+S6+C2+C5


*4.Cough:*

S1+A1+D1+BE

or

A1+P3+C1


*5.Intestinal worms:*

VER+S1

or

VER2+S1


*6.Diarrhoea:*

S10+VER1

or

S1+S11


*7.Pus in the Ear:*

S1+A1+S5+C5+RE&YE

or

S1+C1+A1+RE&YE


*8.Halitosis:*

S1+S10+YE 

or 

C1+A3+S10


*9.Headache:*

S1+A1

or

C5+F2

or

L2+S10


*10.Fatigue:*

S1+SY+WE


*11.Dandruff:*

S1+APP


*Diseases of the Eye:*

----------------------------------

-----------------------------------

*12.Cataract - Eye:*

S1+S12+A3+RE, WY


*13.Inflammation - Eye:*

S1+S12+WE or S1

or

A3+C1+S12


*14.Conjunctivitis or Reddish eyes:*

S1+S12+C5+A3


*15.Constipation:*

S1+SLASS


*16.Dysentry:*

S1+S10+WE


*Diseases of the Teeth and Gums:*


*17.Toothache:*

WE+S1+S5

or

S5+A3+C4+RE


*18.Pyorrhoea:*

S1+C1+A1+WE


*Harmful Diseases:*

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--------------------------------

*19.Jaundice or Yellow fever:*

S1+F2+C5+WE, YE

or

F2+S10+C5+WE


*20.Hepatitis:*

F2+S5+C5+A2


*21.Piles:*

A3+C2+S5


*22.Asthma:*

P1+P3+BE

or

A3+S6+C2+C5+WE

or

S1+A3+P4+S10+RE


*23.Bronchitis:*

S1+P1+C1+A1+F2

or

C1+C5+S1


*24.Diabetes:*

F2+C5+WE, YE

or

C1+S6+F2+RE, YE

or

F1+S1+C1+C6+BE+WE


*25.Backache:*

S1+C1+C5+GE, WE


*26.Whooping cough:*

P4+S5+S6+S9+WE

or

A1+P3


*27.Obesity:*

S1+L1+C5+WE

or

S1+C1+A3+RE, YE


*28.Tuberculosis:*

S1+P1+P2


*29.Sinusitis:*

S1+C1+F2+GE


*30.Flu:*

S1+F2+C5+A1+GE


*Diseases of the Nose and Throat:*

-------------------------------------------

-------------------------------------------

*31.Epistaxis:*

S1+S3+A3+WE


*32.Laryngitis:*

C14+P4+RE, YE

or

S1+S5+P2+C14-GE


*33.Stomatitis:*

S1+S4+C5+RE

or

S1+A2+C2

or

A1+S10+C5


*34.Tonsillitis:*

C5+C13+C14+GE


*Skin Diseases:*

--------------------------

--------------------------

*35.Eczema:*

S1+S5+P4

or

L1+S3+C5+WE+S2+C2+WE Oinments


*36.Ring worm:*

S1+P4+WE 

or

L1+S3


*37.Leucoderma:*

S1+C1+C5+APP+WE

or

S5+C5+A3+VER2


*38.Scabies:*

S1+C5+APP

or

S5+A3+VER2


*39.Psoriasis:*

S1+C1+APP


*40.Acne:*

S1+APP+WE


*41.Boils and Burns:*

S1+A1+L1+C2+C5+C12


*Killer Diseases:*

---------------------------

---------------------------

*42.Heart disease or Chest pain*

A1+A3+F1+BE

or

A1+S1+C5+WE


*43.Atherosclerosis:*

A1+A2+BE


*44.High blood pressure:*

S1+A2

*Low blood pressure*

S1+A1


*45.Ocedema:*

S1+C1+C5+BE

or

S1+A2+P1-WE

or

F1+C1+A2+RE,YE.


*46.Nephritis or Swelling of the Kidney:*

S6+C6+WE


*Diseases of the joints*

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*47.Arthritis:*

S+C5+GE, WE

or

L1+F1+WE

or

S10+A2+F2+C5-RE, YE


*48.Rheumatism:*

A2+S2+C5+GE

or

S1+C5+A3+F2+RE, YE


*Vital Diseases:*

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*49.Malaria:*

S1+C5+C11+F2+VER1


*50.Epilepsy:*

S1+A3+F2+YE


*51.Goitre:*

S10+C4+C5+A3, RE, YE


*52.Peptic ulcer:*

S10+F1+VER1

or

S10+C5+A3+BE


*53.Kidney Stones:*

S2+S10+C5+A3

or

S6+C1+C17+WE


*54.Measles:*

S1+A2+F1, WE

or

S1+S5+C1+BE


Thank all of you friends🙏

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020