इलैट्रो होम्योपैथिक का नि:शुल्क कोर्स घर बैठे करिये
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मंगलवार, 26 अक्टूबर 2021
इलैट्रो होम्योपैथिक का नि:शुल्क कोर्स घर बैठे करिये
मंगलवार, 29 जून 2021
ना चिकित्सा रस रसायन
रविवार, 25 अप्रैल 2021
डायलुशन बनाना
( 1 )
नए चिकित्सकों के लिए D1 से चिकित्सा कार्य करने की विधि- आप पहले जिस किसी भी विधि से(D3, D4, D5, D6.... 1,2,3,30,200,MMG, या अन्य ) अपने चिकित्सा कार्य में दवा का व्यवहार करते हैं उसे करते रहें लेकिन जहां सफलता नही मिले या सफलता कम मिले तो वही दवा वही मात्रा तथा वही विधि विधि नेगेटिव और पॉजिटिव तथा टेंपरामेंट देखें बगैर , D1 मे प्रयोग करें तो इससे ज्यादा एवं तत्काल सफलता मिलता हैl
( 2 )
इलेक्ट्रो होमियोपैथी चिकित्सा विज्ञान में अंगो की चिकित्सा की जाती है|
किसी भी मरीज में एक रोग या कष्ट नहीं होता है अक्सर मिलाजुला बहुत तरह का का कष्ट होता है, इसलिए जिस अंग में कष्ट है उसके अनुसार इलेक्ट्रो होमियोपैथी दवा का एक मिक्सचर तैयार किया जाता है
उदाहरण के लिए - जब कोई मरीज क्लीनिक में आता है तो हम सभी चिकित्सकों का पहला सवाल होता है - आपको क्या तकलीफ या कष्ट है
चिकित्सक मरीज के सभी कष्ट सुनने के बाद तथा जांच के बाद मरीज के अंग के गड़बड़ी के अनुसार
S ग्रुप से एक दवा C ग्रुप से एक दवा , रोग दाहिने तरफ या बाएं तरफ होने पर A ग्रुप से एक दवा (और दोनों तरफ होने पर A ग्रुप से एक दवा अलग से दिया जाएगा|)
श्वसन संस्थान या फेफड़ों से संबंधी कष्ट होने पर P ग्रुप से एक दवा
क्रीमी, खुजली संबंधित समस्या रहने पर VER1 ,
दर्द या बुखार रहने पर F ग्रुप से एक दवा
रोग या कष्ट 30 से अधिक दिन का होने पर VEN1 का भी चुनाव करें
सभी रोगों में L1 का चुनाव करें
आवश्यकतानुसार ELECTRICITY का चुनाव करें
ELECTRICITY में अगर समझ ना आए कि कौन सी दवा दी जाए तो WE का चुनाव करें( ज्यादा जानकारी के लिए मेरे द्वारा लिखा गया इलेक्ट्रो होमियोपैथीक औषधियों की संक्षिप्त जानकारी का अध्ययन करें)
यह सभी दवा अवश्यकतानुसार D1 में मिलाएं |
( 3 )
यह समझ नहीं आए कि कितना मिलाएं
तो 30 ML DW मे 2-2 बूंद मिलाकर ,10 बूंद दवा 3 या 4 समय दिया जाता है या अवश्यकतानुसार आधा घंटा पर या एक घंटा पर भी दिया जा सकता है
जिस अंग में ज्यादा कष्ट हो उस अंग की दवा अलग से गोली में भी बनाकर दिया जाता है |
जैसे - बहुत ज्यादा हड्डी के जोड़ में दर्द होने पर C4 D1 गोली मे 40 गोली तीन समय या एक- एक घंटा पर या 5-5 मिनट पर दिया जाता है ,
फायदा होने पर तीन बार या मात्रा कम कर देना चाहिए|
दस्त ज्यादा होने पर S10 या S3, C3 D1 मे 40 गोली आधा घंटा पर दिया जाता है इससे तत्काल फायदा होता है यानी कि आवश्यकता अनुसार दवा का व्यवहार किया जाता है|
( 4 )
S1 या S2 D1 मे भोजन के पहले 10 गोली तीन समय देना चाहिए
( 5 )
S10 D1 मे 10 गोली भोजन के बाद तीन समय दिया जाता है
(6)
बाहरी प्रयोग- इलेक्ट्रो होमियोपैथी मे बहुत तरह के बाहरी प्रयोग की दवा दी जाती है जिससे कि बीमारी में बहुत फायदा होता है|
कर्ण बिंदु- GE D1 पांच बूंद दवा 5 ML RS मे मिलाकर रुई से कान सफाई करके , चार बूंद दवा रुई पर डालकर कान में सुबह शाम प्लग करने से 3 से 4 दिन में कान बहना ठीक हो जाता है( दूध ,टमाटर, खट्टा, मांस, मछली ,अंडा नहीं खाना चाहिए)
( 7 )
दर्द संबंधी बाहरी प्रयोग मेंमें- S5, C5,A2, F2, WE, GE, BE या RE आवश्यकतानुसार D1 मे 4-4 बूंद दवा 100 ML DW मे मिलाकर रोग स्थान पर तीन समय या 5-5 मिनट पर या अवश्यकतानुसार व्यवहार करना चाहिए , विशेष परिस्थिति में फायदा कम होने पर या नहीं होने पर एक चम्मच दवा आधा कप गर्म पानी में मिलाकर कपड़ा भिगोकर 30 मिनट तक कंप्रेस ( पट्टी )रखना चाहिए या अवश्यकतानुसार व्यवहार करें|
( 8 )
चर्म रोग की चिकित्सा में चिकित्सकों को E. H की औषधि सप्ताह में 1 दिन या 15 दिन के अंतराल पर देने से ज्यादा सफलता मिलती है|
(9)
नए चिकित्सक मरीज को इस तरह से परहेज बताएं-
घाव फोड़ा फुंसी या TISSUE या LYMPH संबंधित गड़बड़ी जैसे- खुजली , दिनाय, एग्जिमा, घाव ,फोड़ा, फुंसी सभी तरह की खांसी या सभी तरह के स्राव युक्त पुराने रोग मे LYMPHATIC SYSTEM पर प्रभाव डालने वाले खाद्य पदार्थ का परहेज कराने पर कोई भी दवा जल्दी काम करती है जैसे- ( खट्टा, बैगन ,टमाटर, दूध, शरीर में गंदगी उत्पन्न करने वाले वाले भोजन मांस, मछली, अंडा एवं चर्म रोग में फायदेमंद साबुन का सख्त परहेज करना चाहिए
(9)
नए चिकित्सकों को सभी तरह के प्रचलित चिकित्सा विज्ञान में असाध्य कहे जाने वाले रोगों में निम्न सुझाव देना चाहिए
1) भोजन हमेशा अच्छी तरह से चबाकर करें
2) एक हाथ से अधिक वजन ना उठाएं दोनों हाथों का उपयोग करें
3) खड़े होकर पानी नहीं पिए ( अंतः स्रावी ग्रंथि में भयंकर गड़बड़ी आती है तथा बहुत दिन बाद पता चलता है) भोजन खूब चबाकर करना चाहिए
(10)
RE यथा YE एक साथ नहीं मिलाना चाहिए (परंतु बहुत जरूरी नहीं है)
(11)
E.H फिर चिकित्सकों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए
E. H से आप जैसे या जिस विधि से चिकित्सा करते हैं और जब तक सफलता मिलती है तब तक ठीक है लेकिन सफलता कम मिलने पर - नाभि से नीचे का कोई रोग होने पर वही दवा वही मात्रा भोजन के आधा या एक घंटा पहले देते हैं तो ज्यादा सफलता मिलती है ,नाभि के ऊपर के रोग में खाना के आधा या 1 घंटा बाद दवा देते हैं तो ज्यादा सफलता मिलती है, नाभि से नीचे तथा ऊपर दोनों तरफ के रोगों में एक दवा खाना के पहले तथा एक दवा खाना के बाद देना चाहिए|
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Dr Ashok Kumar Singh
बुधवार, 24 फ़रवरी 2021
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