पेट से सम्बन्धित बीमारीयॉ –

उपचार:- मरीज को सीधे लिटा
दीजिये उसकी नाभी पर तीन अंगूलियों को रख कर धीरे धीरे दबाव देते हुऐ महशूस करे की
नाभी की धडकन किस तरफ है । कभी कभी यह धडकन नाभी के बहुत नीचे पाई जाती है और ऐसी
स्थिति में नाभी पर अंगूलियों का दबाव बहुत गहरा देना पडता है नाभी जिस तरफ धडक
रही हो उसके ऊपर सीने की तरफ जहॉ पर छाती का पिंजडा प्रारम्भ होता है उसके पास जो
अंग पाये जा रहे हो उसे टारगेट किजिये ताकि उसी अंग पर आप को दबाव अधिक व बार बार
देकर उसे सक्रिय करना है । यदि नाभी पेडरू की तरफ धडकती हो तो आप नीचे के अंगों को
टारगेट करे । सर्वप्रथम आयल को नाभी पर डाल कर पूरे पेट का मिसाज इस प्रकार करे
ताकि पूरा पेट सक्रिय हो जाये अब जिस अंग की तरफ नाभी की धडकन है उसके आखरी छोर तक
नाभी से दबाव देते हुऐ जाये फिर पुन: आखरी छोर से नाभी तक आये इस क्रम को कई बार
कर । पेट के मिसाज करते समय मरीज से यह अवश्य पूछ ले कि उसे अपेन्डिस या हार्निया
तो नही है यदि है तो पेट की मिसाज सम्हल कर करे एंव दबाव अधिक न दे यदि नही है तो
पूरे पेट की मिसाज दबाब देते हुऐ करते जाये इससे पेट के अंतरिक अंगों की मिसाज
होने से समस्त अंग सक्रिय हो जाते है रस रसायनो की
असमानता ठीक हो जाती है मिसाज खाली पेट ही करना चाहिये । आप ने अभी तक दो कार्य
किये एक नाभी स्पंदन को पहचाना फिर उस अंग को टारगेट कर उसे मिसाज से सक्रिय किया
अब आप को सबसे महत्वपूर्ण कार्य करना है वह है नाभी स्पंदन को यथास्थान लाना
इसके लिये आप नाभी पर पुन: अपनी अंगूलियों से परिक्षण कर इसके बाद जिस तरफ नाभी
खिसकी है उसे अंगूलियों में तेल लगाकर उसे नाभी की तरफ दबाव देते हुऐ लाये जब वह
ठीक नाभी के बीचों बीच आ जाये तो उसके ऊपर एक दिया को उल्टा कर किसी कपडे से या
इलैस्टिक रिबिन से बांध दीजिये ताकि वह नाभी पर अच्छी तरह दबाब देते हुऐ बंधी रहे
अब रोगी को सीधा एक दो घंटे तक लेटे रहेने दीजिये । इससे उसके पेट से सम्बधित
समस्त प्रकार की बीमारीयों का उपचार आसानी से हो जाता है । परन्तु यहॉ पर एक बात
का और ध्यान रखना है वह यह है कि कुछ लोगों की नाभी उपचार से कुछ दिनों के लिये
ठीक हो जाती है परन्तु कुछ दिनों बाद पुन: टल जाती है इसलिये यह उपचार सप्ताह
में एक बार या जरूरत के अनुसार एक दो दिन छोड कर करना पडता है ,इसलिये इस उपचार को
घर वालो को सीख लेना चाहिये ताकि जरूरत पडे पर वह यह उपचार कर सके ।
शूल का र्दद
:- जिन महिलाओं को शूल का पेट र्दद होता हो वह खाली पेट नाभी स्पंदन
का परिक्षण करे यदि स्पिंदन ऊपर की तरफ है तो यह शूल का र्दद है यह अत्याधिक कष्टदायक
होता है एंव आधुनिक चिकित्सा परिक्षणों व दवाओं से भी ठीक नही होता । यदि नाभी स्पंदन
या नाभी नाडी की धडकन ऊपर की तरफ है तो आप सर्वप्रथम नाभी से एक अंगूल की दूरी पर
अपने दॉये हाथ का अंगूठा रखिये एंव उसके ऊपर बॉये हाथ का अंगूठे को रखे नाभी को
तेल से पूरी तरह से भर दीजिये ताकि आप अंगूठे से जब तेजी से दबाये तो नाभी पर भरा
तेल आप के अंगूठे को भर दे अंगूठे का दवाब इतना होना चाहिये ताकि नाभी का पूरे तेल
से अंगूठा पूरी तरह से डूब जाये , अब आप अंगूठे के दवाब को नाभी की तरफ तेजी से
दबाते हुऐ जाये इस क्रम का बार बार आठ से दस बार करें , इसके बाद पुन: नाभी पर तीन
अंगूलियॉ रखकर चैक करे यदि नाभी की धडकन नाभी के बीचों बीच आ गयी हो तो आप एक छोटा
सा दिया जिसकी साईज नाभी से थोडी बडी हो उसे नाभी पर इस प्रकार रखे ताकि पहले जो
धडकन थी वह दिये के खोखले भाग में आ जाये अब इसे दिये को आप किसी कपडे से या फीता
जैसे कपडे या इलैस्टिक फीते से अच्छी तरह से इस प्रकार लगाये ताकि दिया नाभी पर
अच्छी तरह से लगा रहे इसे लगा कर मरीज को घटे दो घंटे तक विश्राम करना चाहिये ।
इससे नाभी अपनी जगह आ जाती है परन्तु कभी कभी पुराने केशों में इस उपचार को सुबह
खाली पेट दो तीन दिन के अन्तर से जब तक करना चाहिये जब तक नाभी स्पंदन या नाभी
की धडकन नाभी के बीचों बीच नही आ जाती नाभी के धडकन के बीचों बीच आते ही शूल का
र्दद फिर नही उठता यदि किसी को पतले दस्त होते हो तो वह भी ठीक हो जाता है
।
नाभी उपचार हेतु हमारे ईमेल पर
अपनी समस्या लिख सकते है ।
डॉ0
के0बी0 सिंह
मो09926436304 krishnsinghchandel@gmail.com
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