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गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

वेनेरियो - 1

 वेनेरियो - 1

Ven 1 

जैसा कि इसके नामं से स्पष्ट है 

कि यह औषधि वेनेरियल डिजीज को जड़ से नष्ट कर देती है । 

इस औषधि का दूसरा नाम कांस्टीट्यूशनल औषधि है।

यह औषधि शरीर के भौतिक या प्राकृतिक बनावट या इसके कार्य के ढंग मेटाबोलिक प्रोसेस की पूर्ति, प्रतिक्रियाओं की उत्तेजना हेतु तरीका एवं पैथोजेनिक आर्गैनिज़्म के रोकने की दवा है। 

प्रत्येक प्रकृति वाले व्यक्तियों के अनुकूल है।

इस औषधि का प्रभाव ग्रंथियों, लसिका संस्थान, रक्त संस्थान , ऊतकों , मांस पेशियों आदि पर होने के कारण ये औषधि 

S ग्रुप , C ग्रुप &  A ग्रुप की भाँति कार्य करती है।


S1 की तरह ही इस औषधि का प्रभाव यूनिवर्सल है , शर्त सिर्फ यह है कि रोग वेनेरियल कारणों से उत्पन्न हुआ हो ,

यह दवा एक एंटीसेप्टिक भी है ।

 S1के बाद ये इलेक्ट्रो होम्योपैथी के सर्वश्रेष्ठ दवा मानी जाती है 

जो लगभग 80% लोगों को नष्ट करने की शक्ति रखती है ।

 टिश्यू / ऊतकों  पर प्रभाव होने के कारण कैंसर में कैंसर ओशो श्रेणी की औषधियों के सहायक औषधि मानी जाती है


ग्रंथियों की शैलेस्मिक कलाओं एवं लसिका  पर प्रभाव होने के कारण 

S ग्रुप की दवाओं के सहायक औषधि है 

रक्त एवं रक्त परिसंचरण तंत्र पर प्रभावी होने के फलस्वरुप A श्रेणी की औषधियों के सहायक है।

 यदि इस औषधि की 5 गोली प्रतिदिन ली जाए तो, सुजाक एवं उपदंश जैसे रोग से सुरक्षा करती है।

 विनेरियल रोग की शंका हो गई हो ,

तो नेगेटिव डोज़ का  प्रयोग करना चाहिए।

यह औषधि संपूर्ण शरीर पर प्रभाव रखती है ।ग्रंथियों एवं शैलेस्मिक कलाओं पर विशेष प्रभाव होने के कारण चयापचय की कार्यविधि पूरा होने में सहयोग करती है।

जीर्ण रोगों में जिसका कारण कृमि के अतिरिक्त वायरस है। शरीर को दुबला बना देती है ऐसी स्थिति में ver 1की तरह ven 1 काम करती है।

 इस पैथी में जननेंद्रियों पर कार्य करने वाली सर्वश्रेष्ठ औषधि C1 है , 

जननेन्द्रियों पर सबसे अधिक प्रभाव रखने वाली वेनेरियों एकमात्र औषधि है 

जननेंद्रियों में योनि,  गर्भाशय , डिंब , डिंब प्रणाली , भग , प्रोस्टेट अंडकोष , मूत्रमार्ग की ग्रंथियां एवं शैलेस्मिक कलाओं पर विशेष प्रभाव है।

कुछ ऐसे रोग जो पहले स्थानीय मालूम पड़ते हैं। लेकिन धीरे-धीरे संपूर्ण शरीर के सूत्रों ग्रंथियों एवं तरल में रक्त एवं लसीका द्वारा अपना विष पूरे शरीर में फैला देते हैं ।


जिस के कारण शरीर के प्रत्येक शैलेस्मिक कलाओं ग्रंथियों , मुंह, जीभ जननेंद्रियों,  हलक , आंख नाक इत्यादि ग्रंथियों अंडकोष एवं आँतो  ग्रंथियां , मांस पेशियों,  सूत्रों , त्वचा , हड्डी , तरुण अस्थि ,  तंत्रिका तंत्र एवं मस्तिष्क आदि में ट्यूमर,  नासूर,  हड्डी का गलना,  उभार , घाव , नामर्दी , बांझपन , स्पर्म एवं ओवम का मरना , टीo बी o,

कैंसर इत्यादि भयंकर रोग उत्पन्न हो जाते हैं। 

 जिनमें विरोधियों के साथ इसकी सहायक औषधियां प्रयोग किया जाता है ।

वेनेरियल डिजीज  छूत का रोग है । जो एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचता रहता है । 

मनुष्य के मरने के बाद विरासत के रूप में मां बाप से बच्चों , नाती-पोतों तक रूप बदलकर  भगंदर नाकड़ा,  दमा , कंठमाला रिकेट्स , अकौता , गठिया  इत्यादि के रूप में सामने आता है 

 ये वेनेरियल डिजीज अन्य माध्यम की अपेक्षा सेक्स प्रसंग यानी सेक्स से ज्यादा फैलता ह

आज कल बाजार में कुछ ऐसे तत्व का प्रचलन बहुत जोरों पर है । जिस के प्रयोग से रोग दबकर असाध्य हो जाता है । 

तथा जिंदगी भर किसी न किसी रूप में परेशानियां देता रहता है 

इन तत्वों का प्रयोग उपदंश एवं सुजाक में इंजेक्शन के रूप में किया जाता है ।

 जब कि अकौता एवं मरकरी का प्रयोग मल्हम के रूप में प्रयोग करके तत्काल आराम देते हैं। जिससे रोग पुराना हो जाता है ।

कभी-कभी प्रोस्टेट ग्रंथि में प्रदाह /सूजन, वृक्क तथा मूत्राशय की रेजिस , अंडकोष में सूजन, मूत्रमार्ग की शैलेस्मिक कला में मांस का बढ़ जाना,  जिससे मूत्र मार्ग सिकुड़ जाता है। सुजात जीर्ण  रूप धारण कर मूत्राशय की प्रदाह से बढ़कर मूत्र मार्ग तथा किडनी में पैदा कर देता है ।  

या सभी क्रियाएं कुछ ऐसे रासायनिक तत्वों के प्रयोग से होती है 

जोकि सुजाक में तत्काल आराम करके रोक को दबा देती है

 कैंसर एवं उपदंश में पारे के प्रयोग भयंकर परिणाम देता है । शंका के कारण त्वचा रोगों में  सुजाक का इलाज मरकरी से प्रारंभ कर देते हैं ।

त्वचीय  दाने का इलाज मरकरी से बनी दवाओं से किया जाता है ।

दुष्परिणाम ये होता है कि शरीर में कुछ ऐसे लक्षण उभर आते हैं 

जो कि उपदंश दूसरे या तीसरे दर्जे या पैतृक रोगों से मिलते-जुलते लगते हैं।

S1 के साथ इस औषधि को देने से मरकरी का प्रभाव नष्ट हो जाता है।

ये औषधि वेन 1 प्राकृतिक रूप से सभी रोगों को नष्ट कर देती

सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के तत्काल प्रभाव को नष्ट कर देती है।

 त्वचा के नीचे छिपे दानों को उभार  कर तथा पसीने के रूप में विष को बाहर कर देती है

मूत्रमार्ग में उत्पन्न घाव को ठीक कर देती है , सिफलिस एवं गोनोरिया के प्राइमरी स्टेज को ठीक कर देती है।

सिफलिस के प्राइमरी एवं सेकेंडरी स्टेज,  कैंसर सिरदर्द , आइरेटिस ,  रेटिनाइटिस  , एलोपेसिया गंजेपन, नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम,  मैनिंजाइटिस , नसों का फ़ालिज /  लकवा,  हड्डियों का गलना मूत्र मार्ग में मांस का बढ़ना,  जोड़ों की शैलेस्मिक कला का प्रदाह ,  कंठमाला , पेशाब की पथरी , घाव ,चेचक का विष  एवं बात को दूर करती है ।

जननांगों के रोग गर्भाशय,  भग , गर्भाशय ग्रीवा आदि का कैंसर ट्यूमर रक्त एवं सफेद प्रदर , जननांग का फालिस , शिथिलिता बांझपन आदि में वेनेरियो प्रयोग किया जाता है।

कृपया सभी इलेक्ट्रो होम्योपैथी ग्रुप में पहुचाएं ।

डॉ. आर.के.त्रिपाठी

बलरामपुर

9935656181

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