सेल्युलाइट वसा कोशिकाओं की परते होती है , ये त्वचा के नीचे पाये जाने वाले उन ऊतकों में पायी जाती है ,जो अन्य ऊतकों व अंगों को सहारा देती है और जोडती है । यह वसा अधिकतर महिलाओं के जांधो व नितम्बों पर जमा होती है । इसमें त्वचा एकदम संतरे के छिलके की तरह खुरदरी दिखाई देती है ।अतरिक्त चर्बी और सेल्युलाई का सीधा सम्बन्ध होता है,इसमें बढी हुई वसा कोशिकायें संयोजक ऊतकों पर दबाब बनाती है ,इससे त्वचा कोमल दिखायी नही देती है । संयोजक ऊतक (कलेक्टिव) ईटके बीच की परत को मुलायम व लचीला बनाये रखने के लिये बायों
फलेबनाईडस और विटामिन सी लाभदायक होते है । विशेषज्ञों का
मानना है कि शरीर में मौजूद टाक्सीन के कारण ऐसा होता है ,लेकिन यह भी देखा गया
है कि महिलाओं के कनेक्टव टिश्यू पुरूषों के मुकाबले काफी दृढ होते है । इसलिये
जैसे जैसे महिलाओं का बजन बढता जाता है । कोशिकायें फैलती जाती है ऐसी स्थिति में
ये ऊतक की ओर यानी त्वचा की ऊपरी परत की तरफ फैलती जाती है ,जिससे त्वचा एकदम
संतरे के छिलके जैसी दिखलाई देती है । पुरूषों में अकसर बसा का जमाव जांधों पर कम
ही देखने को मिलता है । क्योकि उनकी बाहरी त्वचा काफी मोटी होती है । जिससे स्पष्ट
तौर पर त्वचा के नीचे कितना वसा जमा हो रहा है ,इसका पता नही चलता ,लेकिन सेल्यूलाईट
के पीछे मूल कारण अभी भी विशेषज्ञों के लिये कौतुक का विषय बना हुआ है ।
अक्सर रक्त संचार इस्ट्रजन बढ जाने के कारण संयोजन ऊतक कमजोर हो जाते है
और बॉटर रिटेशन की समस्या बढ जाती है । जिस के कारण चर्बी शरीर में जमा होने लगती
है ,लसीका प्रवाह ठीक रहे,इसके लिये नियमित व्यायाम करना आवश्यक है । यदि ऐसा न
किया जाये तो निष्कासन ठीक से नही हो पाता है ,और जरूरत से ज्यादा पानी के कारण
त्वचा फूल जाती है जिससे रक्त ऊतकों तक नही पहुच पाता है । और फ्री रेडिकल्स
निष्कासित नही हो पाते है । अन्य बसा या बसा कोशिकाओं की तरह सेल्युलाईट फैट भी
कम कैलोरी वाला भोजन करने से प्रभावित होता है और इससे शरीर के वसा में कमी आती है
लेकिन वसा धटान के बाबजूद फैट सेल्स मोजूद रहते है ,और कैलोरी लेने पर तुरन्त बढ
जाते है । इसलिये सेल्यूलाईट को सर्जरी द्वारा खत्म करने की सलाह डाक्टर दिया
करते है ।वैज्ञानिकों का ऐसा भी मानना है कि ,बिना सर्जरी के सैल्युलाईट का उपचार
संभव नही है ।परन्तु अन्य वैकल्पिक उपचारको का मानना है कि ऐसे ऊतकों व टाक्सीन
को शरीर की मेटाबोलिक दर व ऊर्जा की खपत को बढाकर कम किया जा सकता है । फैट सेल्स
जो शरीर में मौजूद है ,उनकी जानकारी को यदि भुला दिया जाये व सेल्स के बीच बचे
फ्रीरेडिकल्स टाक्सीन तथा अव्यर्थ पदार्थो को यदि शरीर से निकाल दिया जाये तो
इस प्रकार की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसीलिये चिकित्सक योगा व कसरत
आदि करने की सलाह देते है ,शरीर व कोशिकाओं के मेटाबोलिक दर व ऊर्जा खपत को बढाकर
शरीर से अव्यर्थ पदार्थो को निकाला जा सकता है ।
एन्टी आक्सीडेंटस हमारे शरीर का फ्रिरेडिकल्स से बचाव करता है । एन्टी
आक्सीडेंटस विटामिंस एंजाईम्स व हर्बल एक्सटैक्ट्रस
होते है । इसमें विटामिन सी ,विटामिन ई और बीटा कैरोटीन प्रमुख है । ये ताजे फलों
सब्जीयों जडी बूटीयों आदि में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है ।
शरीर का रक्त संचार ठीक से हो इसके लिये आवश्यक है कि रक्त संचार को ठीक
करने के प्राकृतिक उपाय एव बॉडी की मिसाज, या बॉडी ब्रश भी इसके लिय उपयोगी है ।
हल्के हल्के मुलायम ब्रश से बॉडी की मिसाज करने से या असेंशियल आलय से त्वचा को
माईश्चराईज करने से रक्त संचार उचित तरिके से होता है । ब्युटी क्लीनिक में बी
गम मिसाज से भी रक्त संचार को उचित तरीके से कम किया जा सकता है । चीन की परम्परागत
एक उपचार विधि है जिसे ची नी शॉग कहते है । मोटापा कम करने में आज कल इसका उपयोग
समृद्धसील राष्ट्रों में काफी उत्साह के साथ किया जा रहा है चूंकि इसके परिणाम
काफी आशानुरूप रहे है । इस उपचार विधि का एक और लाभ यह है कि इसमें मोटापे को
घटाने के लिये पेट का मिसाज किया जाता है । इससे पेट के अंतरिक महत्पूर्ण अंग
जिनका उत्तदायीत्व हमारे शरीर के
पाचन तंत्र को उचित तरीके से कार्य लेना है । ची नी शॉग उपचार से पेट के अंतरिक
अंग मजबूत होते है एंव मेटाबोलिक की दर को बढाकर अनावश्क चर्बी को आशानुरूप कम
किया जाता है । चीनी शॉग उपचार से हमारे शरीर की प्रिरेडिकल्स एंव टाक्सीन आसानी
से निकल जाती है इससे त्वचा पर झुरूरीया नही पडती साथ ही त्वचा स्निग्ध मुलाय
हो जाती है । ची नी शॉग उपचार से हमारे शरीर की सर्विसिंग हो जाती है । प्राकृतिक उपायों में रसेदार भोजन व ताजे फल
तथा अधिक पानी पीने एंव व्यायाम ,योगा आदि कर शरीर की ऊर्जा व मेटाबोलिक दर को
बढायें ताकि शरीर से अव्यर्थ पदार्थ बाहर निकल जायें । मॉस पेशियों के अधिक इस्तेमाल
से रक्त व लसिका सर्कुलेशन ठीक रहता है इससे पसीना अधिक आता है त्वचा
डीटाक्सिफाई होती है एंव चर्बी कम हो जाती है ।
अरोमाथैरेपी :- मोटापा घटाने या
कम करने में अरोमाथैरेपी के आयल भी उपयोगी है । मिसाज के लिये रोजमेरी फेनल
,असेशियल आयल में दो तीन बूद थोडा सा बादाम का तेल मिलाकर इसे मेन नर्व जो शरीर व
अंगों के मध्य लाईन पर मौजूद होते है इसे इस्टूमुलेट (उत्तेजित) करने से शरीर व
कोशिकाओं के मेटाबोलिक दर व ऊर्जा की खपत बढती है एंव शरीर से अत्याधिक पसीना
निकलता है । इससे शरीर का टॉक्सिन पानी पसीने के माध्यम से बाहर आने लगता है जो
कि शरीर का मोटापा कर करता है । पेट पर मोटापा कम करने एंव चबी घटाने के प्रमुख
छै: पाईन्ट है । जिसका विवरण एक्युपंचर चिकित्सा में किया गया है । मोटापा कम
करने व चर्बी को घटाने एंव मेटाबोलिक दर को बढाने के ये छै: प्रमुख बिन्दू है
जिसका प्रयोग एक्युपंचर ,नेवल एक्युपंचर के साथ ची नी शॉग उपचार तथा एक्युप्रेशन
चिकित्सा पद्धतियों के साथ मिसाज थैरापी में किया जाता है । उक्त पाईन्ट सम्पूर्ण
शरीर के मोटर नर्व को कवर करते है ,इसीलिये यंत्र निर्माताओं ने मोटापा कम करने व
नर्व को इस्टुमूलेट करने हेतु कुछ इस प्रकार के यंत्र करने हेतु कुछ इस प्रकार के
यंत्रों का निर्माण किया है जिसमें उक्त पाईन्ट को दबाब देने व स्टुमूलेट करने
की व्यवस्था रहती जैसे बटर फलाई एड ,स्लीम सोना बेल्ट आदि ,बटर फलाई तितली के
आकार का छोटा सा यंत्र होता है इसमें पेट पर चिपका देते है इसके स्वीच को चालू
करने से मशीन में बायबरेशन होता है यह बायबरेशन प्रमुख नर्व केन्द्र को उत्तेजित
करते है इससे शरीर में ऊर्जा की खपत बढती है व शरीर के टाक्सीन पसीने के द्वारा
बाहर निकलने लगते है । शरीर के इस प्रमुख बिन्दूओं को इस्टीमुलेट करने के कई
तरीके प्रचलन में है ।
एन्टी आक्सीडेंटस :- एन्टी आक्सीडेंटस हमारे शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाव करता है ,फ्री
रेडिकल्स एक ऐसा तत्व है ,जो शरीर के कोशिकाओं के आक्सीकरण क्रिया के बाद बेकार
(अव्यर्थ पदार्थ) बचा रहता है । शरीर की
प्रतिरोधक क्षमता इसे शरीर से बाहर निकालने का प्रयास करती रहती है ,परन्तु इसके
बाद भी फ्रीरेडिकल्स शरीर में बच रहते है ,इनके जमने से शरीर की अन्य कोशिकाओं
के कार्यो में अनावश्यक अवरोध उत्पन्न होता है ,मृत सेल्स शरीर से बाहर नही
निकल पाते ,नये सेल्स का निमार्ण अवरूद्ध हो जाता है इससे अन्य व्यर्थ पदार्थ
शरीर से बाहर नही निकल पाते । वैज्ञानिकों का मानना है कि इसी फ्रीरेडिकल्स की
वजह से वृद्धावस्था होती है । त्वचा व मॉसमेशियों में झुरूरीयॉ उत्पन्न होने
लगती है । एण्टी आक्सीडेंटस को रोका जा सकता है ,सैल्युलाईट ट्रीटमेन्ट से
मॉसपेशियों में जमने बाले ब्यर्थ पदार्थो व फ्रीरेडिकल्स को बाहर निकालने की कई
प्राकृतिक विधियॉ प्रचलन में है । सौंर्द्धय उपचार में इनका प्रयोग सदियों से होता
आया है कुछ लोगों में यह गलत धारण है कि सैल्युलाईट उपचार से केवल मोटापा कम किया
जाता है । परन्तु ऐसा नही है कि इसका उपचार से त्वचा का ढीलापन उसकी झुरूरीयॉ
तथा त्वचा की स्वाभाविकता को लम्बे समय तक कायम रखा जा सकता है ।
1-मोटापा कर करे
हेतु स्टो0-25 पांईट:-
एक्युपंचर एंव नेवल एक्युपंचर
उपचार में मोटापा कम करने एंव पेट की अनावश्य चर्बी को कम करने के लिये एस0टी0-25
पांईट का प्रयोग किया जाता है । एक्युपेशर उपचार में भी इस पाईट पर गहरा अतिगहरा
दबाब देकर पेट का मोटापा या चर्बी को कम किया जाता है ।
2-मोटापा कम करने के पांच एक्युपंचर
पाईंट:-
मोटापे का कारण शरीर के कुछ हिस्सों में विशेष
कर ऐसे हिस्सो में अधिक होता है जहॉ पर शरीर से कम काम लिया जाता है । जैसे पेट
,जांध कुल्हे आदि परन्तु कुछ व्यक्तियो में मोटापा सम्पूर्ण शरीर में होता है
। एक्युपंचर में मोटापे को कम करने ऐवम चबी को घटाने के लिये निम्न पाईट पर एक्युपंचर
पाईन्ट पर पंचरिग कर उचित परिणाम प्राप्त किया जा सकता है । वैसे यह नेवल एक्युपंचर
चिकित्सा में प्रयोग किये जाने वाला पाईट है ।
इस चित्र को
ध्यान से देखिये इसमें क्रमाक 1 से 6 तक के पाईट है यही है मोटापा व शरीर से
अनावश्यक चर्बी को कम करने के पाईन्ट क्रमाक 1,2,5,6 यह रिन चैनल पर पाये जाने
वाले पाईट है ।
पाईन्ट नम्बर
-1 यह नाभी या रिन-8 से डेढ चुन नीचे रिन चैनल पर पाई जाती है
यहां पर रिन -6 पाईन्ट होता है
पाईन्ट नम्बर
-2 यह रिन-5 बिन्दू है इसकी दूरी नाभी से दो चुन नीचे रिन चैनल
पर होती है ।
पाईन्ट नम्बर
-3 इसकी दुरी पाईन्ट नम्बर 2 से दो चुन आडी रेखा में दोनो तरफ
होती है जहॉ पर स्टोमक-27 पाईन्ट पाया जाता है ।
पाईन्ट नम्बर-4
इसी स्थिति रिन-8 बिन्दू या नाभी मध्य से दो चुन की दूरी में आडी रेखा में दोनो
तरफ होती है । जहॉ पर स्टो-25 पाईन्ट होता है ।
पाईन्ट नम्बर-5 यह बिन्दू
नाभी या रिन-8 पाईन्ट से एक चुन रिन चैनल पर ऊपर की तरफ होती है जहॉ पर रिन-9
पाईन्ट होता है ।
पाईन्ट नम्बर-6 यह बिन्दू
नाभी या रिन-8 पाईन्ट से चार चुन ऊपर रिन चैनल पर पाई जाती है जहॉ पर रिन- 12
पाईन्ट होता है ।
उक्त छै: पाईन्टस पर
पंचरिग कर मोटापे को कम किया जाता है । होम्योपंचर उपचार में लक्षणों को ध्यान
में रख कर उक्त पाईट पर होम्योपैथिक की शक्तिकृत औषधियों का उपयोग किया जाता है
। एक्युप्रेशर चिकित्सा एंव ची नी शॉग उपचार में उक्त पाईट पर दबाब व मिसाज
तकनीकी से उपचार कर मोटापे को कम किया जाता है ।
डॉ0कृष्ण भूषण सिंह
म0न0 82 वृन्दावन बार्ड
गोपालगंज सागर
म0प्र0
मो0 9926436304
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