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बुधवार, 22 अगस्त 2018

व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व {डॉ0 के0बी0 सिंह}


                 व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का महत्‍व
 आज मुख्‍यधारा की मॅहगी चिकित्‍सा उपचार के भंवरजाल से परेशान जन सामान्‍य एक ऐसी प्राकृतिक उपचार विधि की शरण में जा रहा है जिसे हम सभी  नाभी चिकित्‍सा के नाम से जानते है इसकी उपयोगिता एंव आशानुरूप परिणामों ने इसे  विश्‍व के हर कोने में चर्चा का विषय बना दिया है । परन्‍तु नाभी चिकित्‍सा हमारे देश की धरोहर है इसके महत्‍व को हम न समक्ष सके परन्‍तु विदेशी बौद्य भिक्षु ने इसके महत्‍व को समक्षा बिना दवा दारू के प्राकृतिक तरीके से रोगों को पहचानना ,एंव उपचार के आशनुरूप परिणामों ने इसे जापान व चीन में ची नी शॉग उपचार के नाम से स्‍थापित किया । नाभी चिकित्‍सा विश्‍व के हर कोने में किसी न किसी नाम से प्रचलन में है ।
   
मानव शरीर में व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी , हमारे रोज मर्ज के बोल चाल की भाषा में कई बार ना भी शब्‍द का उपयोग होते हुऐ भी, इस शब्‍द का महत्‍व उसी तरह से लुप्‍त प्राय: है जैसा कि हमारे शरीर में व्‍यर्थ सी दिखने वाली नाभी का है । नाभी ना अर्थात नही , भी अर्थात हॉ के सम्‍बोधन से मिलकर बना एक ऐसा शब्‍द है जिसका अर्थ ना और हॉ मे होता है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार से नाभी हमारे शरीर का एक महत्‍वपूर्ण अंग होते हुऐ भी जन सामान्‍य इसे अनुपयोगी समक्षता है ऐसे व्‍यक्ति इसके प्रथम अक्षर ना का प्रतिनिधित्‍व करने वाले है । इसके दूसरे अक्षर भी अर्थात हॉ के सम्‍बोधन का प्रतिनिधित्‍व करने वाला समुदाय जिनकी संख्‍या अगुलियों पर गिनी जा सकती है इसके महत्‍व को समक्षता है । हम प्राय: अपने बोल चाल की भाषा में कहते है, ना भी जाओं तो चलेगा , ना भी हो तो चलेगा आदि आदि ऐसे वाक्‍य है जिसमें नाभी शब्‍द का कई बार उपयोग हम अंजाने में कर जाते है परन्‍तु अंजाने में किये गये इस धारा प्रवाह वाक्‍य का कितना महत्‍व है इस पर कभी विचार ही नही किया जाता , ठीक इसी प्रकार से हमारे शरीर में दिखने वाली व्‍यर्थ सी नाभी को हम प्राय: महत्‍व नही देते जबकि आज मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों के नये शोध व परिक्षणों ने यह बात सिद्ध कर दी है कि स्‍टैम्‍प सैल्‍स अर्थात नाभी की कोशिकाओं से कई असाध्‍य से असाध्‍य बीमारीयों का उपचार किया जा सकता है चिकित्‍सा विज्ञान का माना है कि बच्‍चे का जन्‍म इन्‍ही स्‍टैम्‍म सैल्‍स से होता है इन स्‍टम्‍म सैल्‍स के पास शरीर के विभिन्‍न अंगों के निर्माण की सूचना संगृहित होती है एंव ये छोटी से छोटी कोशिकाये अपनी संसूचना के अनुरूप शरीर के विभिन्‍न अंगों का निर्माण करती है । जैसे कोई हडियों का सैल्‍स है तो उसे हडियों का निर्माण करना है यदि किसी सेल्‍स के पास यह जानकारी है कि उसे शरीर का कोई विशिष्‍ट अंग का निर्माण करना है तो वह उसी अंग का निर्माण करेगा ।
 
सदियों पूर्व से हमारे भारतवर्ष में परम्‍परागत उपचार विधियों में , नाभी से उपचार की कई बाते देखने को मिल जाती है परन्‍तु दु:ख तो इस बात का है कि ऐसी जानकारीयॉ एक जगह पर संगृहित नही है चंद जानकार व्‍यक्तियों ने इसे अपने धन और यश का साधन बना रखा था एंव उनके जाने के बाद यह जानकारी उनके साथ चली गयी । यहॉ पर मै कुछ उदाहरणों पर प्रकाश डालना चाहूंगा जो इसके महत्‍व को र्दशाते है । जैसे ओठों के फटने पर हमारे बडे बुर्जुग कहॉ करते थे नाभी पर सरसों का तेल लगा लो इससे ओठ नही फटेगे , पेशाब का न होने पर नाभी में चूहे की लेडी लगाने से पेशाब उतर जाती है , गर्भवति महिला को प्रशव में अधिक पीडा होने पर दाई अधाझारे की जड नाभी पर लगा देती थी , इससे प्रसव आसानी से बिना किसी तकलीफ के हो जाया करता था , ऐसे और भी कई उदाहरण हमे देखने को मिल जाते है । इसी प्रकार का एक उदाहरण और है जिसका प्रयोग चीन व जापान की परम्‍परागत उपचार विधि में सौन्‍र्द्धय समस्‍याओ के निदान में‍ किया जा रहा है इसमें नाभी के अन्‍दर जमा मैल को रेक्‍टीफाईड स्‍प्रीट में निकाल कर इसका प्रयोग उसी मरीज की त्‍वचा पर करने से त्‍वचा स्निंग्‍ध मुलायम चमकदार हो जाती है साथ ही शरीर पर झुर्रीयॉ व त्‍वचा के दॉग धब्‍बे ठीक हो जाते है ,उनका कहना है कि इसके नियमित प्रयोग से त्‍वचा में निखार के साथ रंग साफ गोरा होने लगता है । खैर जो भी हो, नाभी के महत्‍व को नकारा नही जा सकता । हमारे प्राचीन आयुर्वेद चिकित्‍सा पद्धति में कहॉ गया है कि नाभी पर 72000 नाडीयॉ होती है । नाभी पर मणीपूरण चक्र पाया जाता है इसकी साधना से असीम शक्तियॉ प्राप्‍त की जा सकती । नाभी चिकित्‍सा हमारे देश की धरोहर थी, परन्‍तु
इसे हम सम्‍हाल न सके , मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों ने तो इसे अवैज्ञानिक एंव तर्कहीन कहॉ परन्‍तु , हमारा पढा लिखा सभ्‍य समाज जो पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण का अनुयायी था उसने भी बिना इसकी उपयोगीता को परखे इसे महत्‍वहीन कहना प्रारम्‍भ कर दिया । इसी का परिणाम है कि आज मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पद्धतियों के भवर जाल में उलझ कर मरीज इतना भ्रमित हो चुका है कि उसे यह समक्ष में नही आता कि उपचार हेतु किस चिकित्‍सा की शरण में जाये । पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने कई जनोपयोगी, उपचार विद्याओं को अहत ही नही किया बल्‍की उनके अस्तित्‍व को भी खतरे में डाल रखा है । स्‍वस्‍थ्‍य, दीर्ध,आरोग्‍य जीवन एंव रोग उपचार हेतु सदियों से चली आ रही उपचार विद्याओं का सहारा लिया जाता रहा है और इसके सुखद एंव आशानुरूप परिणाम भी मिले है । परन्‍तु दु:ख इस बात का है कि इन उपयोगी उपचार विधियों पर न तो हमने कभी शोध कार्य किया न ही इसकी उपयोगिता को परखने का दु:साहस किया । नाभी उपचार प्रक्रिया से कई उपचार विधियों का सूत्रपात समय समय पर हुआ है जैसे चीन व जापान की एक ऐसी परम्‍परागत उपचार विधि है जिसमें बिना किसी दवादारू के मात्र नाभी एंव पेट के आंतरिक अंगों को प्रेशर देकर मिसाज कर उसे सक्रिय कर जटिल से जटिल रोगों का उपचार सफलतापूर्वक किया जा रहा है । इस उपचार विधि का नाम है ची नी शॉग उपचार यह उपचार विधि भी हमारे देश की नाभी चिकित्‍सा की देने है हमारे यहॉ नाभी परिक्षण कर टली हुई नाभी को यथास्‍थान लाकर उपचार किया जाता रहा है इस उपचार विधि में भी इसी सूत्र का पालन किसी न किसी रूप में किया जाता है अत: हम कह सकते है कि ची नी शॉग उपचार विधि हमारे देश की ही देन है जिसे जापान व चीन के भिझुओं ने समक्षा व इसे अपने साथ ले गये तथा एक नये नाम से इस उपचार विधि ने चीन व जापान में अपना एक अलग स्‍थान बनाया । ची नी शॉग उपचार विधि से रोग उपचार के साथ शरीर की सर्विसिंग भी की जाती है आज कल फाईब स्‍टार होटलो में पेट की जो मिसाज प्रक्रिया शरीर की सर्विसिंग व पेट को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिये की जा रही है वह वह यही उपचार विधि है । ची नी शॉग पार्लर भी तेजी से खुलते जा रहे है । नाभी उपचार में नेवल एक्‍युपंचर एंव नेवल होम्‍योपंचर की भी एक अहम भूमिका है चूंकि
एक्‍युपंचर चिकित्‍सा में संम्‍पूर्ण शरीर में हजारों की संख्‍या में एक्‍युपंचर पाईट पाये जाते है इन एक्‍युपंचर पाईट को खोजना उपचारकर्ता के समक्‍क्ष एक बडी समस्‍या होती है फिर शरीर के कुछ ऐसे नाजुक अंग जिन पर सूईया चुभाना कठिन कार्य है इसी प्रकार होम्‍योपैथिक में हजारों की संख्‍या में होम्‍योपैथिक की शक्तिकृत दवाये होती है जिसका निर्वाचन रोग लक्षणों के हिसाब से करना चिकित्‍सको के लिये कठिन कार्य होता है । होम्‍योपैथिक एंव एक्‍युपंचर की साझा चिकित्‍सा को होम्‍योपंचर उपचार कहते है । नेवेल एक्‍युपंचर चि‍कित्‍सा में नाभी के आस पास शरीर के सम्‍पूर्ण एक्‍युपंचर पाईट पाये जाते है इस लिये नेवेल एक्‍युपंचर में नाभी पर एंव नाभी के आसपास एक्‍युपंचर की बारीक सूईयों को चुभा कर उपचार किया जाता है इसे नेवेल एक्‍युपंचर उपचार कहते है यह एक्‍युपंचर चिकित्‍सा से काफी सरल एंव आशानुरूप परिणाम देने वाली उपचार विधि है । नेवेल होम्‍योपंचर चिकित्‍सा में नाभी एंव नाभी के आस पास डिस्‍पोजेबिल बारीक निडिल में होम्‍योपैथिक की कुछ गिनी चुनी दवाओं को निडिल में भर कर नाभी एंव नाभी के आस पास क्षेत्र में चुभा कर उपचार किया जाता है । नेवल एक्‍युपंचर हो या नेवल एक्‍युपंचर हो इस चिकित्‍सा पद्धति का मानना है कि नाभी पर सम्‍पूर्ण शरीर के पाईन्‍ट पाये जाते है जैसा कि हमारे आयुर्वेद में भी कहॉ गया है कि नाभी पर 72000 नाडीयॉ पाई जाती है इन 72000 नाडीयों का सम्‍बन्‍ध हमारे सम्‍पूर्ण शरीर से होता है । नेवल एक्‍युपंच में येन यॉग को आधार मानकर तीन चार दवाये बनाई गयी है जिनको डिपोजेबिल न‍िडिल में भर कर नाभी के धनात्‍मक .ऋणात्‍मक पाईन्‍ट पर चुभा कर जटिल से जटिल रोगों का उपचार सफलतापूर्वक किया जाता है । नेवल एक्‍युपंचर एंव नेवेल होम्‍योपंचर चिकित्‍सा एक सरल उपचार विधि है इस उपचार विधि से समस्‍त प्रकार के रोगो का उपचार आसानी से किया जाता है । 
    नाभी चिकित्‍सा एंव ची नी शॉग उपचार, नेवेल एक्‍युपंचर ,नेवल होम्‍योपंचर से
1- सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं का उपचार :- सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं का उपचार जैसे पेट पर स्‍ट्रेचमार्क ,ब्‍लैक हैड , उम्र से पहले त्‍वचा पर झुरूरीयॉ , बालों का असमय सफेद होना या गिरना ,स्‍त्रीयों के स्‍त्रीय सुलभ अंगों का विकसित न होना , बौनापन , अत्‍याधिक दुबलापना ,अनावश्‍यक मोटापा ,स्‍त्रीयों के शरीर में अनावश्‍यक बालों का निकलना, त्‍वचा पर दॉग धब्‍बे, त्‍वचा पर झुरू आदि जैसे अनेको समस्‍याओं का उपचार इन चिकित्‍सा पद्धतियों से किया जा सकता है ।
2-शारीरिक रोग :- नाभी चिकित्‍सा एंव ची नी शॉग उपचार, नेवेल एक्‍युपंचर ,नेवल होम्‍योपंचर से पेट सम्‍बन्धित रोग, हिदय रोग,मिर्गी, हिस्‍टीरिया, दमा एंव श्‍वास रोग, कैंसर ,किडनी के रोग ,पथरी , गले के रोग ,तथा अन्‍य विकृति विज्ञान से सम्‍बन्धित समस्‍ये आदि के साथ समस्‍त प्रकार की बीमारीयों में यह उपचार विधि काफी उपयोगी है
 जो भी चिकित्‍सक इन चिकित्‍सा विधियों को सीखना चाहे वह हमारे ई मेल पर हमे सूचित कर सीख सकता है । इसकी सारी जानकारीयॉ हम नि:शुल्‍क मेल पर भेजते है इसका अध्‍ययन घर बैठे करने के पश्‍चात इसका प्रेक्टिकल प्रशिक्षण भी नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराया जाता है । अत: जो भी चिकित्‍सक नेवल एक्‍युपंचर या नेवल होम्‍योपंचर सीखने का इक्‍च्‍छुक हो वह हमारे मेल पर या जो साईड बतलाई गयी है उससे जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकता है । नाभी उपचार या ची नी शॉग चिकित्‍सा जो भी व्‍यक्ति सीखने का इक्‍च्‍छुक हो वह हमारे बतलाये मेल या साईड पर जा कर जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकता है ।
ई मेल- krishnsinghchandel@gmail.com
साईड- http://krishnsinghchandel.blogspot.in
http://beautyclinict.blogspot.in/
                                             डॉ0 के0बी0 सिंह


-: नाभी स्‍पंदन एंव ची नी शॉग चिकित्‍सा एक नजर:-डॉ कृष्‍ण भूषण सिंह


         
       -: नाभी स्‍पंदन एंव ची नी शॉग चिकित्‍सा एक नजर:-
पश्चिमोन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने कई जनोपयोगी,उपचार वि़द्यओं को अहत ही नही किया बल्‍की उनके अस्तित्‍व को भी खतरे में डाल रखा है । स्‍वास्‍थ्‍य ,दीर्ध,आरोग्‍य जीवन एंव रोग उपचार हेतु सदियों से प्राकृतिक उपचार विद्याओं का सहारा सदियों से लिया जाता रहा है और इसके सुखद एंव आशानुरूप परिणाम भी मिलते रहे है ।
   प्राकृतिक सुलभ उपचार, उपचारकर्ताओं के सदियों की खोज का परिणा था । जिसके आशानुरूप उत्‍साहवर्धक सफल परिणामों की वजह से यह जन सामान्‍य में लोकप्रिय रही तथा विश्‍व के हर कोने में किसी न किसी रूप में ये उपचार विद्यायें प्रचलन में रही है । इस प्रकार की सरल सुलभ एंव उचित परिणाम देने वाले प्राकृतिक उपचार जो कभी जन सामान्‍य की जुबानों में रटे बसे थे । हमारी बीमार पश्चिमोंन्‍मुखी विचारधारा के अंधानुकरण ने इस जनोपयोगी कल्‍याणकारी उपचार विद्या के पतन में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह किया ।
   हम केवल अपने देश की अमूल्‍य घरोहर आयुर्वेद, प्राकृतिक उपचार,योगा की ही बात नही करते बल्‍की विश्‍व में इसी प्रकार की अन्‍य अमूल्‍य उपचार विधियॉ किसी न किसी पद्धतियों के नाम से प्रचलन में रहते हुऐ रोग उपचार करती रही है , उपचार के सफल परिणामों की वजह से लोकप्रिय भी रही है ।
   कई इसी प्रकार की उपचार विधियॉ अपने उचित परिणामों की वजह से   इतनी अधिक लोकप्रिय हुई, की कुछ स्‍वार्थी उपचारकर्ताओं ने अपने लाभ के लिये इसे गोपनीय रखा एंव इसके सफल परिणामों से धन व यश अर्जित करते रहे ।  लोक कल्‍याणकारी इस विद्या को अपने तक सीमित रखने के भविष्‍यात परिणाम यह हुआ कि इस पर वैज्ञानिक शोध ,अनुसंधान आदि न हो सके , धीरे धीरे यह लुप्‍त होती चली गयी । आज सम्‍पूर्ण विश्‍व में लगभग सौ से भी अधिक उपचार पद्धतियॉ प्रचलन में है । परन्‍तु इनमें से कुछ मान्‍यता के अभाव में दम तोड रही है तो कुछ वैज्ञानिक परिणामों के अभाव में अपनी अन्तिम सॉसे गिन रही है । तथाकथित शेष उपचार विधियॉ पश्चिमोन्‍मुखी चिकित्‍सा पद्धतियों के व्‍यवसायीक भवर जाल का शिकार हो कर हथयार डाल चुकी है , चूंकि सम्‍पूर्ण विश्‍व में जैसा कि पूर्व में कहॉ जा चुका है कि लगभग 100 से भी अधिक उपचार विधियॉ प्रचलन में है , उनमें से विभिन्‍न राष्‍ट्रों ने अपने अपने राष्‍ट्रों में कुछ गिनी चुनी चिकित्‍सा पद्धतियों को मान्‍यतायें
दे रखी है शेष चिकित्‍सा पद्धतियों की मान्‍यता न होने के कारण न तो उनका विकास हो सका न ही उन पर वैज्ञानिक शोध ,अनुसंधान आदि  किया गया । यह बात तो दूर है इस प्रकार की शेष चि‍कित्‍सा एंव उपचार विधियों को तर्कहीन एंव अवैज्ञानिक कह कर सभ्‍य व पढे लिखें समाजों ने इसका उपहास उडायॉ तथा ठुकरा दिया , इसका परोक्ष परिणाम उस समय के उपचारकर्ताओं पर पडना स्‍वाभाविक था, जो मान्‍यता के अभाव में चिकित्‍सा कार्य कर रहे थे, उन्‍हे फर्जी उपचारकर्ता जैसे सम्‍बोधनों के साथ कानूनी दॉवों पेचों का सामना करना पडता, ऐसी विषम परस्थितियों में इस प्रकार के उपचार के बारे में एंव इस उपचार को अपना भविष्‍य बनाने के बारे में कोई भी विचार नही कर सकता था ,इन्‍ही सभी परस्थितियों कि वजह से इस प्रकार की उपचार विधियों का लुप्‍तप्राय: होना कोई बडी बात नही है ।   

यहॉ पर हम दो ऐसी उपचार विधियों पर चर्चा करने जा रहे है ,जो सरल होने के साथ रोग निवारण की अमोद्य व अचूक उपचार विधि है ,साथ ही आज के पश्चिमी चिकित्‍सा की तरह से रोग की पहचान करने हेतु बडे बडे महगें परिक्षणों की आवश्‍यकता नही होती । इन दोनो उपचार विधियों का मानना है ,कि समस्‍त प्रकार की बीमारीयॉ पेट से प्रारम्‍भ होती है ।
नाभी स्‍पंदन :- यहॉ पर हम हमारे प्राचीनतम आयुर्वेद चिकित्‍सा पद्धति के नाभी स्‍पंदन से रोग निदान एंव पहचान विषय पर चर्चा करेगें , यह उपचार विधि सदियों पुरानी उपचार विधि है,जिसमें यह माना जाता है कि नाभी के स्‍पंदन का अपने स्‍थान से सूई के नोक के बराबर भी खिसक जाने से कई प्रकार की बीमारीयॉ होती है । इस विध‍ि के उपचारकर्ता नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान लाकर गंम्‍भीर से गंम्‍भीर असाध्‍य से असाध्‍य बीमारीयों यहॉ तक की सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं का उपचार आसानी से बिना किसी दवा दारू के आसानी से कर देते है । आज भी कई इस प्रकार की बबीमारीयॉ जो पश्चिमी चिकित्‍सा पद्धतियों की समक्ष में नही आती , ऐसी बीमारीयों का उपचार नाभी चिकित्‍सक बडे ही सरल तरीके से कर देता है । यहॉ पर मुक्षे एक घटना याद है उस वक्‍त हमारा कैम्‍प एक ब्‍लाक स्‍तर  पर लगा हुआ था , विभिन्‍न चिकित्‍सा पद्धतियों के चिकित्‍सक उस नि:शुल्‍क कैम्‍प में अपनी सेवायें दे रहे थे । एक महिला जिसकी लगभग 30 या 35 वर्ष के आस पास होगी , वह शादीशुदा थी उसे दो व्‍यक्ति पकड कर लाये थे ,उसकी मानसिक स्थिति ठीक नही थी उसके पति ने बतलाया कि कई मानसिक चिकित्‍सकों से उपचार करा लिया है परन्‍तु कोई लाभ नही हुआ । डॉ0 कविता शर्मा जो नाभी स्‍पंदन विशेषज्ञ थी ,उन्‍होने उस महिला के नाभी स्‍पंदन का परिक्षण किया उसका स्‍पंदन ऊपर की तरफ खिसका हुआ था एंव इससे नाभी वृत का आकार भी ऊपर की तरफ स्‍पष्‍ट दिख रहा था ,डॉ कविता जी ने नाभी धारीयों का परिक्षण करते हुऐ जो लक्षण बतलाये वे सभी उस महिला से मिल रहे थे ,जैसे पेट में आवाज आना ,भूंख का समय पर न लगना ,कब्‍ज की शिकायत पेट में गैस का बनना ,चिडचिडापन ,तनाव ,मारने पीटने को दौडना, मानसिक कई प्रकार के ऐसे लक्षण बतलाये जो बिलकुल उस मरीज से मिलते थे । उन्‍होने उस महिला की नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान लाने हेतु नाभी पर एक जलता हुआ दिया रख ऊपर से एक खाली बर्तन को उस पर रख दिया वेक्‍युम की वजह से बर्तन पेट पर बुरी तरह से चिपक गया । करीब पॉच दस मिनट बाद बर्तन को निकाला फिर पेट का मिसाज वायवेटर मशीन से ‍किया इससे नाभी स्‍पंदन पुन: न खिसके इसलिये एक कपडे से नाभी पर एक दिया रख कर बॉध दिया । कैम्‍प तीन दिन चलना था , इसलिये दूसरे दिन वह महिला आई परन्‍तु इस वक्‍त उसे कोई पकडे नही था ,वह शॉन्‍त मुद्रा में थी उससे सवाल जबाब करने पर उसने शान्‍ती से अच्‍छी तरह से जबाब दिया उसके आदमी ने बतलाया कि अब वह ठीक है खाना भी ठीक से खॉ रही है चिडचिडापन क्रोध व मानसिक तनाव व अन्‍य परेशानीयॉ अब नही है । पुन: नाभी स्‍पंदन का परिक्षयण कर उसे पुन: उपचार दिया गया । अत: कहने का अर्थ यह है कि इस सरल उपचार पद्धति ने एक मानसिक बीमारी का उपचार इतने जल्‍दी कर दिया यह आर्श्‍चय नही तो और क्‍या है ।  नाभी स्‍पंदन से समस्‍त प्रकार की बीमारीयों का उपचार संभव है । नाभी स्‍पंदन उपचारकर्ता यह मानते है कि समस्‍त प्रकार की बीमारीयॉ पेट से ही प्रारम्‍भ होती है एंव रस रसायन की असमानता की वहज से एंव पेट के अंतरिक अंगों के सुसप्‍तावस्‍था में आने के कारण ही समस्‍त प्रकार की बीमारीयॉ होती है । नाभी पर 72000 नाडीयों का संगम स्‍थल होता है एंव समस्‍त प्रकार की शारीरिक एंव भावनात्‍मक संसूचना प्रणाली इसी मार्ग से हो कर गुजरती है । इस नाभी स्‍पंदन उपचार से हिदय रोग,मधुमेह ,पाचनतंत्र की बीमारीयॉ ,बॉझपन , किडनी रोग ,तथा सौर्न्‍दय सम्‍बन्धित प्रत्‍येक समस्‍याओं का बिना किसी औषधियों व परिक्षण के उपचार किया ज ा सकता है । इस उपचार विधि का मानना है कि पाचनतंत्र ठीक होगा तो ह मारे शरीर के रस रसायन उचित तरीके से काम करेगे ,इससे किसी भी प्रकार की बीमारी नही होगी , शरीरकि विकास उचित तरीके से होगा एंव मनुष्‍य स्‍वस्‍थ्‍य दीर्ध आयु का होगा नाभी स्‍पंदन उपचारकर्ता विभिन्‍न प्रकार के रोगों का परिक्षण नाभी स्‍पंदन एंव नाभी की बनावट तथा धारीयों के परिक्षण से कर रोग को पहचान लेते है एंव उनका मानना है कि रोग ठीक होने पर इन परिवर्तनों में स्‍वाभाविक अन्‍तर देखा जाता है ऐसे रोग जो ठीक नही हो सकते उन्‍हे भी इन्‍ही बनावट आदि से पहचाना जाता है ।
 ची नी शॉग :- ची नी शॉग चीन गणराज्‍य की परम्‍परागत प्राकृतिक उपचार पद्धति है । इस उपचार में बिना किसी दवा दारू के गम्‍भीर से गम्‍भीर असाध्‍य से असाध्‍य बीमारीयों की पहचान कर उपचार किया जाता है । ची नी शॉग उपचार हमारे भारत की प्राचीन चिकित्‍सा नाभी स्‍पंदन से रोगों की पहचान एंव निदान से बहुत कुछ मिलती जुलती है । नाभी स्‍पंदन से रोग निदान का उल्‍लेख हमारे प्राचीनतम आयुर्वेद चिकित्‍सा में है , परन्‍तु इसे र्दुभाग्‍य ही कहेगे कि हम हमारी इस अमूल्‍य घरोहर को न सम्‍हाल सके ,सम्‍हालना तो दूर की बात है पढा लिखा सभ्‍य समाज इसकी उपेक्षा करता रहा, इतना ही नही इसका उपहास उडाते न थकता । भारत प्रवास के दौरान बौद्ध भिक्षुओं ने इस उपचार की विशेषताओं को देखा , बिना किसी लम्‍बे चौडे परिक्षणों के नाभी उपचारकर्ता बीमारीयों को आसानी से नाभी व पेट के परिक्षण के बाद पहचान जाते एंव बिना किसी दवा दारू के पेट की नसों व पेट पर पाये जाने वाले आंतरिक अंगों को मिसाज कर सक्रिय कर बीमारीयों को ठीक कर दिया करते । उन्‍होने इस जादूई सरल उपचार की विशेषताओं एंव उसकी उपयोगिता को समक्षा व अपने साथ चीन व जापान ले गये । चीन व जापान में इस उपचार विधि के संतोषजनक परिणामों ने इसे परम्‍परागत एंव प्राकृतिक चिकित्‍सा के रूप में एक पहचान दी , परन्‍तु इसे वैज्ञानिक आधुनिक नये स्‍वरूप में लाने का श्रेय मास्‍टर मोन्‍टेक को जाता है । शरीर में होने वाली विभिन्‍न प्रकार की बीमारीयों की पहचान व निदान इस उपचार विधि से किया जाने लगा एंव अपने आशानुरूप परिणामों की वजह से इसका उपयोग बीमारीयों के अतरिक्‍त स्‍वस्‍थ्‍य, दीर्धायु एंव शरीरर की सर्विसिग ,रोग परिक्षण के साथ सौन्‍द्धर्य समस्‍याओं के निदान में किया जाने लगा । चूंकि यह उपचार विधि पेट के अंतरिक अंगों को सक्रिय व मिसाज करने की एक टेक्‍नीक है । इस उपचार पद्धति का सिद्धान्‍त है ।
1- पेट पर शरीर के प्रमुख अंग पाये जाते है जिनके निष्क्रिय या सुसप्‍तावस्‍था में आने से मनुष्‍य बीमारीयों की चपेट में आने लगता है ।
2-शरीर के रस रसायनों की असमानता की वजह से समस्‍त प्रकार की बीमारीयॉ उत्‍पन्‍न होती है । जिसका प्रारम्‍भ पेट से होता है ।
3-नाभी का सम्‍बन्‍ध मानसिक एंव भावनाओं से होता है । नाभी जीवन ऊर्जा का केन्‍द्रक है जिसे ची कहते है , यह अपने दो विरूद्ध ऊर्जा येन एंव यॉग की समानता को बनाये रखता है , इन दोनो ऊर्जाओं में से किसी भी एक ऊर्जा की असमानता की वजह से विभिनन प्रकार की बीमारीयॉ उत्‍पनन होती है । ची नी शॉग उपचार में पेट पर पाये जाने वाले आंतरिक अंग चित्र में बतलाये अनुसार व्‍यवस्थित होते है । ची नी शॉग उपचार से विभिन्‍न प्रकार की बीमारीयों का उपचार तथा बीमारीयों
की पहचान की जाती है स्‍वस्‍थ्‍य अवस्‍था में भविष्‍य में होने वाली बीमारीयों से सुरक्षा हेतु इस उपचार का सहारा लिया जाता है इससे शरीर की सर्विसिंग हो जाती है एंव भविष्‍य में होने वाले रोगो की संभावना कम हो जाती । साधन सम्‍पन्‍न राष्‍ट्रों में फाईब स्‍टार होटल्‍स एंव मिसाज पार्लस में स्‍वस्‍थ्‍य व्‍यक्तियों द्वारा अपने शरीर एंव पेट को स्‍वस्‍थ्‍य रखने हेतु, माह दो माह में ची नी शॉग उपचार कराते है ,गर्भ से पूर्व महिलाओं द्वारा ची नी शॉग उपचार कराने से गर्भावस्‍था में जितनी भी समस्‍यायें उत्‍पन्‍न होती है उसका निदान असानी से हो जाता है ।  बच्‍चों का विकास पूर्ण रूप से होता है ,बच्‍चा निरोगी तीब्र बुद्धि का सवस्‍थ्‍य होता है एंव प्रसव असानी से समय पर हो जाता है ,प्रसव पश्‍चात पेट पर स्‍ट्रेच मार्क के निशान भी नही बनते न ही पेट लटकता है । ची नी शॉग उपचार या नाभी स्‍पंदन से रोग निदान से पाचन तंत्र स्‍वस्‍थ्‍य रहता है मानसिक बीमारीयॉ नही होती ,मोटापा नही बढता साथ ही स्‍त्रीयों में स्‍त्री सुलभ अंगों का विकास पूर्ण रूप से होता है ,त्‍वचा पर झुरूरीयॉ नही पडती इन्‍ही कारणों से व इसके चमत्‍कारी परिणामों की वजह से यह चीन व जापान से होता हुआ अब पश्चिमी राष्‍ट्रों में काफी उन्‍नती कर रहा है । हमारे देश में अभी इनके जानकारों का व्‍याप्‍त अभाव है नेट पर इसकी जानकारीयॉ एंव वीडियों उपलब्‍ध है जो गुगल साईड पर  Chi Nie Tsong   टाईप कर देखे जा सकते है । उक्‍त दोनों उपचार विधियों का प्रशिक्षण एंव अध्‍ययन नि:शुल्‍क इस साईड पर उपलब्‍ध कराया जाता है जिसका अध्‍ययन घर बैठे असानी से किया जा सकता है इसकी सारी जानकारीयॉ एंव इसके एक्‍जाम ईमेल से होते है । सौद्धन्‍ितिक कोर्स में पास होने पर इसका नि:शुल्‍क प्रशिक्षण जहॉ कही भी नि:शुल्‍क प्रशिक्षण कैम्‍प लगता है प्रशिक्षणाथीयों को अमंत्रित कर प्रशिक्षण दिया जाता है प्रशिक्षण हेतु ऐसी व्‍यवस्‍था की गयी है ताकि छात्र को उनके नगर के आस पास लगने वाले नि:शुल्‍क कैम्‍प में ही अमंत्रित किया जाता है ताकि छात्र को अनावश्‍यक परेशानी का सामना न करना पडे वैसे इस कोर्स का घर पर अध्‍ययन करने के पश्‍चात छात्र इसकी सम्‍पूर्ण विषय वस्‍तु को असानी से समक्ष जाते है एंव उपचार आदि स्‍वयम अपने प्रयासो से करने लगते है ।
ऐसे चिकित्‍सक ,नेचरोपै‍थिक उपचारकर्ता या ब्‍यूटी पार्लर संचालक,मिसाज पार्लस जो इस उपचार विधियों का लाभ उठाना चाहते हो या प्रशिक्षण या अध्‍ययन घर बैठे करना चाहते हो वे नीचे बतलाई गयी साईड पर इसकी जानकारीयॉ प्राप्‍त कर सकते है ।
http://beautyclinict.blogspot.in/
 https://battely2.blogspot.com
                                             डॉ कृष्‍ण भूषण सिंह          
                                            मो09926436304
                                               krishnsinghchandel@gmail.com
                                             
  
  
H:\BC-वर्ष 2018-19\Chi Nie Tsong\1.doc




   


    








मंगलवार, 14 अगस्त 2018

पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ –डॉ0 के0बी0 सिंह


                     पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ
आज के बदलते लाईफ स्‍टाईल की वजह से सर्वप्रथम जो आम बीमारीयॉ या शिकायते हो रही है वह है पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयॉ । जैसा कि चिकित्‍सा विज्ञान में कहॉ जाता है कि पेट स्‍वस्‍थ्‍य तो शरीर व मन स्‍वस्‍थ्‍य रहेगा यदि पेट बीमार हुआ तो शारीरिक व मानसिक व्‍याधियॉ धीरे धीरे मनुष्‍य को रोग की चपेट में लेना प्रारम्‍भ कर देते है ,इसका प्रारम्‍भ पाचनक्रिया दोषों से प्रारम्‍भ होता है जैसे पेट में हल्‍का र्दद ,भूंख का न लगना ,पेट भारी भारी ,कब्‍ज की शिकायत , शौच का पूरी तरह न होना , पेट से आवाज आना ,कभी कभी किसी को उल्‍टी की इक्‍च्‍छा होना ,पेट में गैस बनना जिसकी वजह से हिदय में पीडा या ह्रिदय रोग की संभावना ,कभी कभी किसी किसी को पतले दस्‍त हो जाना ,भोजन का न पचना , या कुछ खाद्य पदाथों के खाने से स्‍वास्‍थ्‍य खराब हो जाना , चिडचिडापन , आलस्‍य , नींद का दिन में अधिक आना परन्‍तु रात्री में नींद न आना , बुरे बुरे ख्‍याल आना खॉसकर यह शिकायत महिलाओं में अधिक पाई जाती है कुछ महिलाओं को पेट में गैस की शिकायत के बाद ह्रिदय में र्दद उठता है आधुनिक चिकित्‍सा परिक्षणों में कुछ नही निकलता ,इसके साथ उन्‍हे मानसिक तनाव ,पेट में भारीपन ,कब्‍ज , गैस का बनान,पेट से वायु का ह्रिदय की तरफ बढता हुआ महसूस होना यह प्राय: हिस्‍टीरिया के प्रकारणों में देखा जाता है इससे वह महिला इस प्रकार की हरकते करने लगती है जैसे उस पर किसी प्रेतात्‍मा या भूत प्रेत का साया हो वह एकटक निहारती है फिर बेहोश हो जाती है थोडी ही देर में उसे होश भी आ जाता है । यह सब बीमारी पेट से प्रारम्‍भ होती है । अर्थात पेट से सम्‍बन्धित कई छोटे छोटे लक्षण है जिन्‍हे हम प्राय: नजरअंदाज कर जाते है जो आगे चल कर किसी बडी बीमारी का कारण बनती है । चूंकि पेट से सम्‍बन्धित बीमारीयों का मुंख्‍य कारण पेट के रस रसायनों की असमानता है , इसकी वजह से नाभी स्‍पंदन अपने स्‍थान से खिसक जाता है (जैसा कि नाभी चिकित्‍सा में कहॉ गया है) । इस प्रकार की बीमारीयों का उपचार नाभी चिकित्‍सा एंव ची नी शॉग चिकित्‍सा में बडा ही आसान व प्राकृतिक है जिसमें किसी भी प्रकार के दवा दारू की आवश्‍यकता नही होती इसमें नाभी स्‍पंदन की पहचान कर उसे यथास्‍थान बैठाल दिया जाता है एंव शरीर के अंतरिक प्रमुख रोगअंगों की जाती है एंव उसे या उसके आस पास के ऐसे अंगों को पहचाना जाता है जो सुस्‍पतावस्‍था में आ गये हो या निष्‍क्रिय होने लगे हो उसे पहचान कर उसे सक्रिय कर देने से शरीर या पेट की क्रिया सामान्‍य रूप से कार्य करने लगती है एंव बीमारी हमेशा हमेशा के लिये दूर हो जाती है ।

उपचार:- मरीज को सीधे लिटा दीजिये उसकी नाभी पर तीन अंगूलियों को रख कर धीरे धीरे दबाव देते हुऐ महशूस करे की नाभी की धडकन किस तरफ है । कभी कभी यह धडकन नाभी के बहुत नीचे पाई जाती है और ऐसी स्थिति में नाभी पर अंगूलियों का दबाव बहुत गहरा देना पडता है नाभी जिस तरफ धडक रही हो उसके ऊपर सीने की तरफ जहॉ पर छाती का पिंजडा प्रारम्‍भ होता है उसके पास जो अंग पाये जा रहे हो उसे टारगेट किजिये ताकि उसी अंग पर आप को दबाव अधिक व बार बार देकर उसे सक्रिय करना है । यदि नाभी पेडरू की तरफ धडकती हो तो आप नीचे के अंगों को टारगेट करे । सर्वप्रथम आयल को नाभी पर डाल कर पूरे पेट का मिसाज इस प्रकार करे ताकि पूरा पेट सक्रिय हो जाये अब जिस अंग की तरफ नाभी की धडकन है उसके आखरी छोर तक नाभी से दबाव देते हुऐ जाये फिर पुन: आखरी छोर से नाभी तक आये इस क्रम को कई बार कर । पेट के मिसाज करते समय मरीज से यह अवश्‍य पूछ ले कि उसे अपेन्डिस या हार्निया तो नही है यदि है तो पेट की मिसाज सम्‍हल कर करे एंव दबाव अधिक न दे यदि नही है तो पूरे पेट की मिसाज दबाब देते हुऐ करते जाये इससे पेट के अंतरिक अंगों की मिसाज होने से समस्‍त अंग सक्रिय हो जाते है रस रसायनो की असमानता ठीक हो जाती है मिसाज खाली पेट ही करना चाहिये । आप ने अभी तक दो कार्य किये एक नाभी स्‍पंदन को पहचाना फिर उस अंग को टारगेट कर उसे मिसाज से सक्रिय किया अब आप को सबसे महत्‍वपूर्ण कार्य करना है वह है नाभी स्‍पंदन को यथास्‍थान लाना इसके लिये आप नाभी पर पुन: अपनी अंगूलियों से परिक्षण कर इसके बाद जिस तरफ नाभी खिसकी है उसे अंगूलियों में तेल लगाकर उसे नाभी की तरफ दबाव देते हुऐ लाये जब वह ठीक नाभी के बीचों बीच आ जाये तो उसके ऊपर एक दिया को उल्‍टा कर किसी कपडे से या इलैस्टिक रिबिन से बांध दीजिये ताकि वह नाभी पर अच्‍छी तरह दबाब देते हुऐ बंधी रहे अब रोगी को सीधा एक दो घंटे तक लेटे रहेने दीजिये । इससे उसके पेट से सम्‍बधित समस्‍त प्रकार की बीमारीयों का उपचार आसानी से हो जाता है । परन्‍तु यहॉ पर एक बात का और ध्‍यान रखना है वह यह है कि कुछ लोगों की नाभी उपचार से कुछ दिनों के लिये ठीक हो जाती है परन्‍तु कुछ दिनों बाद पुन: टल जाती है इसलिये यह उपचार सप्‍ताह में एक बार या जरूरत के अनुसार एक दो दिन छोड कर करना पडता है ,इसलिये इस उपचार को घर वालो को सीख लेना चाहिये ताकि जरूरत पडे पर वह यह उपचार कर सके ।
शूल का र्दद :- जिन महिलाओं को शूल का पेट र्दद होता हो वह खाली पेट नाभी स्‍पंदन का परिक्षण करे यदि स्पिंदन ऊपर की तरफ है तो यह शूल का र्दद है यह अत्‍याधिक कष्‍टदायक होता है एंव आधुनिक चिकित्‍सा परिक्षणों व दवाओं से भी ठीक नही होता । यदि नाभी स्‍पंदन या नाभी नाडी की धडकन ऊपर की तरफ है तो आप सर्वप्रथम नाभी से एक अंगूल की दूरी पर अपने दॉये हाथ का अंगूठा रखिये एंव उसके ऊपर बॉये हाथ का अंगूठे को रखे नाभी को तेल से पूरी तरह से भर दीजिये ताकि आप अंगूठे से जब तेजी से दबाये तो नाभी पर भरा तेल आप के अंगूठे को भर दे अंगूठे का दवाब इतना होना चाहिये ताकि नाभी का पूरे तेल से अंगूठा पूरी तरह से डूब जाये , अब आप अंगूठे के दवाब को नाभी की तरफ तेजी से दबाते हुऐ जाये इस क्रम का बार बार आठ से दस बार करें , इसके बाद पुन: नाभी पर तीन अंगूलियॉ रखकर चैक करे यदि नाभी की धडकन नाभी के बीचों बीच आ गयी हो तो आप एक छोटा सा दिया जिसकी साईज नाभी से थोडी बडी हो उसे नाभी पर इस प्रकार रखे ताकि पहले जो धडकन थी वह दिये के खोखले भाग में आ जाये अब इसे दिये को आप किसी कपडे से या फीता जैसे कपडे या इलैस्टिक फीते से अच्‍छी तरह से इस प्रकार लगाये ताकि दिया नाभी पर अच्‍छी तरह से लगा रहे इसे लगा कर मरीज को घटे दो घंटे तक विश्राम करना चाहिये । इससे नाभी अपनी जगह आ जाती है परन्‍तु कभी कभी पुराने केशों में इस उपचार को सुबह खाली पेट दो तीन दिन के अन्‍तर से जब तक करना चाहिये जब तक नाभी स्‍पंदन या नाभी की धडकन नाभी के बीचों बीच नही आ जाती नाभी के धडकन के बीचों बीच आते ही शूल का र्दद फिर नही उठता यदि किसी को पतले दस्‍त होते हो तो वह भी ठीक हो जाता है ।
नाभी उपचार हेतु हमारे ईमेल पर अपनी समस्‍या लिख सकते है ।  

                                          डॉ0 के0बी0 सिंह
                                          मो09926436304                                                                                                                                                              krishnsinghchandel@gmail.com