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शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

बच्‍चों के रोग


                      बच्‍चों के रोग
क्र0
विषय
दवाये
पृ0क्र0
1-
अंगूठा चूसना
( नेट्रम म्‍यूर 1 एम)

2-
बच्‍चों का देर से बोलना सीखना
(नेट्रम म्‍यूर)

3-
बच्‍चा देर से चलना सीखे (कैल्‍केरिया कार्ब)
(कैल्‍केरिया कार्ब)

4-
बच्‍चा बोलना एंव चलना दोना देर से सीखे
(एकारिकस)

5-
बच्‍चों का चौक कर उठना
(बोरेक्‍स)

6
क्षूठ मूठ के रोने का उपक्रम
(स्‍टेफिग्रेसिया):-

7
हठी जिद्धी ,क्रोधि चिडचिडा ,चिल्‍लाना व लाते मारना
(सैनिक्‍युला):-

8
बच्‍चों का गोद में धूमने के लिये जिदद करना
(एन्‍टीमोनियम टार्ट)

9
बच्‍चों का अनावश्‍यक जिदद करना
(कैमोमिला)

10
बच्‍चों का रात में रोना दिन में सोना
(जेलपा, सोरिनम)

11
बच्‍चा रात भर रोता है और दिन में ठीक रहता है
(रियूम जेलपा)

12
बच्‍चा दिन में रोता है एंव रात्रि में सोता है
(लाईकोपोडियम):-

13
-हकलाना या तोतलाना
(स्‍ट्रामोनियम,केनाबिस इंडिका ,केनाबिस सिटावम)

14
तोतलाने की अवस्‍था में
(कास्‍टीकम 200 कास्‍टीकम 200 बोबिस्‍टा या स्‍ट्रामोनियम):-

15
जीभ मोटी होने के कारण हकलाता हो
(जैल्सियम)

16
हकलाना
(केनाबिस इंण्डिका या केनाबिस सटाईवम):-

17
कमजोर दिमाक के बच्‍चे
(इथूजा):-

18
जिददी बच्‍चें
(एण्टिम क्रूड):-

19
बदमिजाज बच्‍चे
(कैल्‍केरिया फॉस,कैली फॉस)

20
बच्‍चों में असन्‍तुष्टि
(कैल्‍केरिया फॉस):-

21
अत्‍याधिक लज्‍जा
(कैली फॉस) :

22
बाचाल प्रवृति
(फैरम फॉस, नेट्रम म्‍यूर):-

23
बोलने व लिखने में गलत शब्‍दों का प्रयोग करना
(कैली फॉस)














                       बच्‍चों के रोग
    बच्‍चों को रोग इस प्रकार के होते है कि वे अपने लक्षणों को एंव अपनी बीमारीयों को नही बतला सकते ऐसी परस्थितियों में हमें उनके प्रथमदृष्‍या लक्षणों पर ध्‍यान रखते हुऐ एंव उनके माता पिता से जो लक्षण वे बतलाये उसके हिसाब से दबाओं को चयन करना होता है , हमारी संस्‍था द्वारा मानसिक एंव बहुविकलागं केन्‍द्र के संचालन के साथ संस्‍था में जन जागरण धमार्थ चिकित्‍सालय का संचालन भी किया जा रहा है । इस धमार्थ चिकित्‍सालय में जरूरतमद ,बेसहारा मरीजों का नि:शुल्‍क उपचार के साथ उन्‍हे नि:शुल्‍क औषधिया भी उपलब्‍ध कराई जाती है । चूंकि जैसाकि प्राय: बच्‍चों के मामले में कई प्रकार की प्रवृतियॉ इस प्रकार की होती है जिसे मुख्‍यधारा की चिकित्‍सा पतद्धतियों में राग नही माना जाता जैसे बच्‍चे का गोद में लिये धूमने के लिये जिदद करना ,अगूठा चूसना ,बाचाल बच्‍चे , या चौक कर उठना , क्षूठ मूठ के रोने की प्रवृतियॉ ,हठी जिददी बच्‍चे ,अत्‍याधिक क्रोधित बच्‍चे, रात में रोना दिन में सोना या इसका उल्‍टा ,बिस्‍तर में पेशाब कर देना ,मुंह से लार बहना आदि चूंकि बच्‍चों की इस प्रकार की प्रवृति होम्‍योपैथिकके राग लक्षणों में आता है एंवम ऐसे लक्षणों को होम्‍योपैथिक में रोग की श्रेणी में मानकर उसका उपचार किया जाता है  तथा इसके परिणाम भी आशानुरूप मिलते है । कभी कभी तो माता पिता को बडा अश्‍चर्य होता है जो बच्‍चा जिदद करता था या रात भर रोता था या फिर हकलाता या तोतलाता था होम्‍योपैथिक की छोटी छोटी गोलीयों से ठीक हो गया । 
 1-अंगूठा चूसना ( नेट्रम म्‍यूर 1 एम) :- कई बच्‍चों यहॉ तक की बडे व्‍यक्तियों में भी अंगूठा चूसने की बुरी आदत देखी जाती है । इस प्रकार की आदत को छुडाने में नेट्रम म्‍यूर 1 एम शक्ति की दबा का प्रयोग पन्‍द्रह दिनों या सात दिनों के अन्‍तराल से करना चाहिये  यह दवा साधारण नमक को शक्तिकृत कर बनाई जाती है ।
2-बच्‍चों का देर से बोलना सीखना (नेट्रम म्‍यूर) :- यदि बच्‍चा देर से बोलना सीखे तो नेट्रम म्‍यूर दवा का प्रयोग किया जा सकता है ।
3-बच्‍चा देर से चलना सीखे (कैल्‍केरिया कार्ब) :- यदि बच्‍चा देर से चलना सीखे तो कैल्‍केरिया कार्ब दवा देना चाहिये वैसे तो कैल्‍केरिया कार्ब दबा कम बुद्धि के बच्‍चों के लिये उपयोगी है परन्‍तु बच्‍चों का देर से चलना सीखने पर इसका प्रयोग करना चाहिये ।
4-बच्‍चा बोलना एंव चलना दोना देर से सीखे (एकारिकस) :- बच्‍चा यदि चलना एंव बोलना दोनों देर से सीखता हो तो उसे एकारिकस दबा देना चाहिये ।
5-बच्‍चों का चौक कर उठना (बोरेक्‍स) :- यदि बच्‍चा चौक कर उठता हो तो उसे बोरेक्‍स देना चाहिये । बोरेक्‍स का बच्‍चा बहुत ही स्‍नायविक होता है,जरा से में चौक उठता है ,यदि मॉ बच्‍चे को गोद से उतार कर पलंग पर लिटाती है तो वह चौक जाता है ।
6-क्षूठ मूठ के रोने का उपक्रम (स्‍टेफिग्रेसिया):- यदि बच्‍चा क्षूठ मूठ के रोने का उपक्रम करे परन्‍तु ऑसू न जाये तो ऐसी स्थितियों में उसे स्‍टेफिग्रेसिया 30 या 200 शक्ति में देने से उसेकी यह आदत ठीक हो जाती है ।
बच्‍चों में चिडचिडापन:- यदि बच्‍चों में चिडचिडापन हो तो ऐसी अवस्‍था में उन्‍हे एन्‍टीमोनियम टार्ट देना उचित है ।
7-हठी जिद्धी ,क्रोधि चिडचिडा ,चिल्‍लाना व लाते मारना (सैनिक्‍युला):- यदि बच्‍चा हठी क्रोधि चिडचिडा ,चिल्‍लाना व लाते मारना किसी को दूने नही देना एक क्षण में क्रोधित तो दूसरे ही क्षण में जोर से हॅसने लगना इन लक्षणों पर सैनिक्‍युला दबा का प्रयोग करना चाहिये ।
 8-बच्‍चों का गोद में धूमने के लिये जिदद करना (एन्‍टीमोनियम टार्ट) :- यदि बच्‍चा गोद में टंगा रहता हो या गोद में धूमने के लिये जिदद करता हो तो ऐसे बच्‍चों को एन्‍टीमोनियम टार्ट देना चाहिये ।
9-बच्‍चों का अनावश्‍यक जिदद करना (कैमोमिला) :- यदि बच्‍चा अनावश्‍यक जिदद करता हो एंव उसे गुस्‍सा आता हो तथा चिडचिडाता हो एंव जो भी चीजे दो उसे फेक देता हो तो उसे कैमोमिला दवा देना चाहिये इससे अनावश्‍यक जिदद करने एंव चिडचिडाने तथा क्रोधित होने की प्रवृति बदल जाती है ।
10-बच्‍चों का रात में रोना दिन में सोना (जेलपा, सोरिनम) :- यदि बच्‍चा रात में रोता हो और दिन में सो जाता हो व शान्‍त खेलता रहता हो तो ऐसे बच्‍चों को जेलपा देना चाहिये , लक्षणा अनुसार कुछ चिकित्‍सक सोरिनम दबा के पक्षधर है । अत: इन दोनो दवाओं के लक्षणों का चयन कर दबा का निर्वाचन करना चा‍हिये ।
अनुभव केश:-   हमारे पडौस मे एक कामवाली बाई रहती थी उसी लगभग आठ वर्ष की बच्‍ची थी जो दिन रात रोया करती थी खेलते खेलते भी रोती रहती थी जिदद करती थी उसके इन लक्षणों पर मैने उसके बडी बहन को कैमोमिला लाईकोपोडियाम तथा जेलपा 30 शक्ति की दबाओं को दिया और उसके खिलाने का तरीका भी बतला दिया इस दबा को देने से करीब करीब छै: सात माह तक वह बच्‍ची नही रोई न ही उसने जिदद किया चूकि वह शाम से रोती थी एंव उसकी बहन उसे खिलाने के लिये मोहल्‍ले में ले कर धूमती थी दबा देने से पहल वह रोती जाती या खेलती रहती थी परन्‍तु दबा देने के बाद लगभग छै: सात माह तक वह नही राई परन्‍तु उसकी मॉ के दुबारा न आने पर अभी तो दबा बन्‍द है एंव व पुन: पूर्व की तरह से रोती है ।
11-बच्‍चा रात भर रोता है और दिन में ठीक रहता है (रियूम जेलपा) :- यदि बच्‍चा रात भर रोता हो एंव दिन में ठीक रहता हो तो ऐसे बच्‍चों को रियूम तथा जेलपा जैसी दबाये देना चाहिये । (डॉ सत्‍यवृत)
12-बच्‍चा दिन में रोता है एंव रात्रि में सोता है (लाईकोपोडियम):- यदि बच्‍चा दिन में रोता रहता है एंव रात्रि में सोता रहता हो तो ऐसे बच्‍चों को लाईकोपोडियम दबा देना चाहिये ।
13-हकलाना या तोतलाना (स्‍ट्रामोनियम,केनाबिस इंडिका ,केनाबिस सिटावम) :- हकलाकर या तोतला कर बोलने में स्‍ट्रामोनियम,केनाबिस इंडिका ,केनाबिस सिटावम दबा का प्रयोग किया जाता है ।
14-तोतलाने की अवस्‍था में (कास्‍टीकम 200 कास्‍टीकम 200 बोबिस्‍टा या स्‍ट्रामोनियम):- तोतलाने की अवस्‍था में काली ब्रोम 30 तथा काली फास 3एक्‍स शक्ति में एंव सप्‍ताह में एक बार शक्ति की दवा देने के विद्वान चिकित्‍सक पक्षधर है । तोतलाकर बोलने में बोबिस्‍टा या स्‍ट्रामोनियम दबा का प्रयोग किया जाता है ।
] 15-जीभ मोटी होने के कारण हकलाता हो (जैल्सियम) :- यदि जीभ के मोटी होने के कारण हकलाहट हो तो ऐसी अवस्‍था में जैल्सियम 30शक्ति की दवा का प्रयोग नियमित कुछ दिनों तक करना चाहिये ।
16-हकलाना (केनाबिस इंण्डिका या केनाबिस सटाईवम):- हकलाने की ऐसी अवस्‍था जिसमें बच्‍चे जो बोलते हुऐ हकलाते है ,वह क्‍या कहना चाह रहे है इसके लिये उन्‍हे दिमाक पर अधिक जोर डालना पडता है जबकि वास्‍तव में वे शब्‍द अच्‍छे से बोल सकते हे ,परन्‍तु उनके सोच की वजह से ही वे हकलाया करते है उन्‍हे केनाबिस इंण्डिका या केनाबिस सटाईवम दवा देना चाहिये ।
17कमजोर दिमाक के बच्‍चे (इथूजा):- डॉ0 क्‍लार्क कमजोर दिमाक के बच्‍चों को इथूजा दिया करते थे ।
18-जिददी बच्‍चें (एण्टिम क्रूड):- जिददी बच्‍चों को एण्टिम क्रूड दवा दिया जाना चाहिये वैसे लक्षणानुसार ही दवाओं का चयन करना चाहिये ।  
19-बदमिजाज बच्‍चे (कैल्‍केरिया फॉस,कैली फॉस) :- यदि बच्‍चा बदमिजाज है तो उसे कैल्‍केरिया फॉस,कैली फॉस जैसी दबाओं का चयन करना चाहिये ।
20-बच्‍चों में असन्‍तुष्टि (कैल्‍केरिया फॉस):- यदि बच्‍चों में असन्‍तुष्टि के लक्षण दिखलाई दे तो कैल्‍केरिया फॉस दवा देना चाहिये ।
21-अत्‍याधिक लज्‍जा (कैली फॉस) :- यदि बच्‍चों में अत्‍याधिक लज्‍जा के लक्षण दिखलाई दे तो उसे कैली फॉस दवा देना चाहिये ।
22-बाचाल प्रवृति (फैरम फॉस, नेट्रम म्‍यूर):- यदि बच्‍चे बाचाल प्रवृति के हो तो ऐसे बच्‍चों को फैरम फॉस, नेट्रम म्‍यूर जैसी दवाओं का चयन लक्षणानुसार करना चाहिये ।
23-बोलने व लिखने में गलत शब्‍दों का प्रयोग करना (कैली फॉस) :- बोलने व लिखने में गलत शब्‍दों का प्रयोग करने पर कैली फॉस दवा का प्रयोग करना चाहिये ।
G:\BC-वर्ष 2018-19\Homeopathic\hoeopathic book 1.doc










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