पथरी
क्र0
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विषय
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दवाये
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पृ0क्र0
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1
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पथरी रोग की प्रतिषेधक दबा
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(कैल्केरिया
कार्ब)
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2
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पथरी तथा
गठिये में
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(आर्टिका
यूरेंस क्यू)
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3
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पथरी
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सारसापैरिला
(अनुभव केस डॉ0 केन्ट)
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4
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मूत्र पथरी
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(कैंथरीस)
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5
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गुर्दे में पाई जाने वाली पथरी (पोलीगोनम):-
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(पोलीगोनम):-
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6
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यूरेट आफ सोडा का गुर्दे में बैठने से गुर्दे
की पथरी
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(साईलेसिया)
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7
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पथरी के बार बार बनने की प्रवृति को रोकने के
लिये
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(चाईना)
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8
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गॉल स्टोन या पित पथरी
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(कोलेस्टरीन
2,3 विचूर्ण)
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9
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पित्त पथरी एंव मूत्र पथरी
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कैल्केरिया
कार्ब तथा बरबेरिस
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10
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यूरिक ऐसिड की प्रवृति
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ओसियम कैनम
(तुलसी के पत्ते का रस)
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मूत्र पथरी (यूरिन स्टोन)
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11
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पेशाब में सफेद तल छट
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(हाइड्रैन्जिया)
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12
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पेशाब बहुत कम
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(सैलिडैगो)
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13
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मूत्र में लाल कण के तल छट बैठना
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(लाईकोपोडियम)
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14
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लाइको0 से लाभ न हो और यूरिक ऐसिड बनने की
प्रवृति
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(आर्टिका
यूरेन्स
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हर प्रकार की पथरी बिना अपरेशन के निकालने
हेतु
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(कोलियस
एरोमा)
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पथरी
1 पथरी रोग की
प्रतिषेधक दबा (कैल्केरिया कार्ब) :- कैल्केरिया कार्ब
पथरी रोग की प्रतिषेधक दबा है दो या तीन सप्ताह के अन्तर से 200 या उच्च शक्ति
में सी एम आदि की एक मात्रा देना चाहिये इसके र्दद के समय रोगी को बहुत अधिक पसीना
आता है । डॉ0सैण्डस मिल्स तथा हूाजेस लिखते है कि पित्त पथरी का कष्ट दूर करने
के लिये कैल्केरिया कार्ब अत्युत्म दबा है उनका कहना है कि इस दवा को पन्द्रह
पन्द्रह मिनट के अन्तर देकर देना चाहिये इससे तीन घंटे में दर्द दूर हो जायेगा ।
2 पथरी तथा गठिये
में (आर्टिका यूरेंस क्यू) :- डॉ0 बर्नेट का कहना है कि पथरी और गठिये में कुछ दिनों तक
आर्टिका क्यू में उपयोग करने से ठीक हो जाता है ।
मूत्र में पथरी (हाइड्रेजिंया क्यू) :- मूत्र पथरी के लिये
हाईड्रजिंयॉ क्यू काफी महत्वपूर्ण दवा है । यह दवा फिर से होने बाले मूत्र पथरी
को रोकने में सहायक है ।
3 पथरी सारसापैरिला
(अनुभव केस डॉ0 केन्ट) :- मूत्राश्य की पथरी के लिये सारसापैरिला एक अच्छी दवा है
सार्सापैरिला के रोगी के पेशाब का तलछट सफेद होता है तथा लाईकोपोडियम का लाल । इस
सम्बन्ध में डॉ0 केन्ट का एक अनुभव विशेष महत्व रखता है उन्होने लिखा है कि
एक वृद्ध व्यक्ति को मूत्राश्य में पथरी हो गयी थी शाल्य चिकित्सकों ने अपरेशन
की तैयारी कर ली थी परन्तु उसने डॉ0केन्ट को बुलाया डॉ0 केन्ट ने उसके लक्षणों
का अध्ययन कर उसे सारसापैरिला दिया रात भर कष्ट के पश्चात उसकी पथरी निकल गयी ।
कुछ चिकित्सकों की सलाह है कि सारसापैरिला 200 शक्ति में भी देकर देखना चाहिये ।
डॉ0 हेरिंग इस औषधि के बडे पक्षधर थे । पथरी तथा गुर्दे के दर्द की यह उत्तम दवा
है रोगी की तकलीफे गर्म खाने पीने से बढती है किन्तु गर्म सेक से उसे आराम मिलता
है यह इसका विशेष लक्षण है ।
4 मूत्र पथरी
(कैंथरीस) :- मूत्र पथरी के लिये कैन्थरीस एक बहूमूल्य दबा है खॉस कर
जब कि मूत्र नली में बहुत जोर का र्दद हो डॉ0घोष ने कहॉ है कि यह दबा मूत्र के वेग
को बढा कर पथरी को बाहर निकाल देती है । इसी प्रकार मूत्र को बढा कर पथरी को
निकालने में बरबेरिस तथा लाईकोपोडियम की भी एक अहम भूमिका है ।
5 गुर्दे में पाई
जाने वाली पथरी (पोलीगोनम):- गर्दे में पाई जाने वाली पथरी के लिये
पोलीगोनम एक अत्यन्त उत्तम दबा है ।
6 यूरेट आफ सोडा का
गुर्दे में बैठने से गुर्दे की पथरी (साईलेसिया) :- डॉ सत्यवृत जी ने
लिखा है कि कभी कभी यूरेट आफ सोडा गुर्दे में बैठ जाता है जिससे गुर्दे में पथरी
बन जाती है डॉ0सुशलर का कहना है कि इस अवस्था में साईलेसिया यूरेट से मिलकर उसे
धोल देती है एंव उसे शरीर से निकाल देती है इस लिये गुर्दे की पथरी व जोडों के
दर्द में साईलैसिया लाभप्रद है ।
पथरी के बनने की प्रवृति को रोकने के लिये
7 पथरी के बार बार
बनने की प्रवृति को रोकने के लिये (चाईना) :- पथरी के बार बार बनने की प्रवृति को रोकने के लिये चाईना 6
में कुछ दिनों तक दिया जाना चाहिये । डॉ0 फैरिंगटन ने लिखा है कि बोस्टन के डॉ0
थेयर का कथन है कि पित्त पथरी की प्रवृति को रोकने के लिये चाईना 6 एक्स का कई
महिनों तक प्रयोग करना चाहिये पहले 10 दिन तक रोज फिर दो तीन दिन का अन्तर देकर
दस दिनों तक दे इस प्रकार इसका प्रयोग कुछ लम्बे समय तक करते रहने पर पथरी बनने
की प्रवृति ठीक हो जाती है ।
8 गॉल स्टोन या पित
पथरी (कोलेस्टरीन 2,3 विचूर्ण) :- यह गॉल स्टोन से बना नोसोड दवा है डॉ0 बर्नेट और डॉ0 स्वान
ने पित्त पथरी में इसे बहुत उपयोगी पाया है । डॉ0 यिंगलिग लिखते है कि पित्त
पथरी के र्दद में रोगी के लक्षणों का मिल पाना बहुत कठिन होता है उन्होने इस र्दद
में कोलेस्टरीन 3 एक्स शक्ति के विचूर्ण को बहुत उपयोगी पाया है ।
9 पित्त पथरी एंव
मूत्र पथरी कैल्केरिया
कार्ब तथा बरबेरिस :- कैल्केरिया कार्ब तथा बरबेरिस ये दोनों दवाये पित्त पथरी
एंव मूत्र पथरी दोनों में लाभप्रद है
10 यूरिक ऐसिड की
प्रवृति ओसियम
कैनम (तुलसी के पत्ते का रस ) :- रोगी में यूरिक ऐसिड की प्रवृति पेशाब में
लाल तल छट गुर्दे में र्दद खॉसतौर पर दाहिने तरफ ऐसी स्थिति में इस दवा का प्रयोग
6, 30 या 200 शाक्ति में इसका प्रयोग करना चाहिये ।
मूत्र पथरी (यूरिन
स्टोन)
11 पेशाब में सफेद
तल छट (हाइड्रैन्जिया) :- पेशाब में सफेद तल छट या खून के गुर्दे का र्दद खॉस कर बाई
पीठ में र्दद मूत्र नली पर इसका विशेष प्रभाव है । इस दवा के पॉच से दस बूंद टिंचर
दिन में तीन चार बार देना चाहिये ।
12 पेशाब बहुत कम (सैलिडैगो) :- पेशाब बहुत कम आता
है गुर्दे का र्दद रिनल कॉलिक पेट तथा मूत्राश्य तक जाता है इसके प्रयोग से कभी
कभी कैथीटर के इस्तेमाल की भी जरूरत नही पडती टिंचर या 3 शक्ति में दवा का प्रयोग
करे ।
13 मूत्र में लाल कण
के तल छट बैठना (लाईकोपोडियम) :- इस दवा के रोगी के मूत्र में लाल कण के
तल छट बैठ जाते है लाइकोपोडियम में लाल रंग का तलछट होता है । पेशाब करने से पहले
कमर में र्दद होता है पेशाब कर चुकने के बाद र्दद बन्द हो जाता है । लाइकोपोडियम
200 शक्ति में देने से मूत्र पथरी बनने की प्रवृति रूक जाती है ।
14 लाइको0 से लाभ न
हो और यूरिक ऐसिड बनने की प्रवृति (आर्टिका यूरेन्स :- अगर लाइकोपोडियम से
लाभ न हो और रोगी मे यूरिक ऐसिड बनने की प्रवृति हो तो इससे लाभ होता है इस दबा को
टिंचर में या 6 शक्ति में प्रयोग करना चाहिये ।
15 हर प्रकार की
पथरी बिना अपरेशन के निकालने हेतु (कोलियस एरोमा) :- हर प्रकार की पथरी
को यह दवा निकाल देती है यह दवा पथरी में बूंद बूंद पेशाब मूत्र में रेत की तरह कण
आना मूत्र में रक्त आना दाहिनी ओर गुर्दे की सूजन में इस दवा का प्रयोग किया जाना
चाहिये यह दबा पथरी को गलाकर मूत्र मार्ग से निकाल देती है इस दवा को मूल अर्क में
प्रयोग करना चाहिये ।
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