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बुधवार, 20 मार्च 2019

18- बिवाइयॉ (होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग-2 पुस्‍तक से)


                  (होम्‍योपैथिक के चमत्‍कार भाग-2 
       लेखक की  शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तक    

                              18- बिवाइयॉ
    
एक कहावत है जाकी न फटी बिवाई , वो क्‍या जाने पीर पराई । अर्थात जिसकी कभी बिवाई न फॅटी हो वह क्‍या जाने दूसरों की पीडा । कहने का अर्थ है बिमाई एक ऐसा रोग है जिसमें मरीज को अत्‍याधिक कष्‍ट , जलन कभी कभी दरारों के अत्‍याधिक फॅटने के कारण उस फॅटी हुई जगह में धॉव आदि हो जाते है जिसमें इंफेक्‍शन होने का खतरा बना रहता है ,कीचड या खुले धॉवों पर मंख्‍िखयों के बैठने से इनफेक्‍शन होने का खतरा कई गुना बढ जाता है कुछ लोग ऐसे जुते पहनते है जिसे धोना संभव नही होता ऐसी स्थिती में भी बिवाईयों के धॉवों पर इंफेक्‍शन का खतरा बना रहता है एंव धॉव जल्‍दी नही भरते इसलिये संभव हो तो धॉवों को इस प्रकार क स्थितियों से बनाने का प्रयास करना चाहिये साथ ही होम्‍योपैथिक की दवाओं के साथ धॉव या बिवाई पर होम्‍योपैथिक का मलहम या लोशन जो नीचे बतलाया गया है उसका प्रयोग करे !
1- टेरेबिन्थिना डॉ0 बोरिक का कहना है कि बिवाई में टेरेबिन्थिना बहुत उपयोगी दवा है । इसलिय बिबाई के लिये यह बहुत ही उत्‍तम दबा है ।
2- पेट्रोलियम ठण्‍ड के कारण बिवाई होने पर इस दबा का प्रयोग किया जाना चाहिये ,इसमें बिवाई के स्‍थान पर  आर्द्र रहती है तथा जिसमें जलन व खुजली रात को बहुत होती है इसमें बिमाई फटी हुई भी रहती है और उसमें से खून भी टपका करता है ।
3- एगारिकस उन बिबाईयों की दबा है जिसमें बहुत तीब्र जलन होती है बिबाई की जगह ऐसा लगता हे मानो वहॉ वर्फ की सूई चुभाई जा रही है ।
यह बिवाईयों की प्रत्‍येक अवस्‍था में दी जा सकती है
4:- आर्सैनिक एल्‍ब :- किसी भी प्रकार के बीवाईयों में यदि जलन हो तो अन्‍य औषधियों के साथ आर्सैनिक एल्‍ब 30 या 200 शक्ति में देने से नई जलन में लाभ होता है ।
5-सल्‍फर :-  जैसा कि आर्सैनिक एल्‍ब नई जलन में एंव सल्‍फर पुरानी जलन की दवा है । अत: यदि बिवाई की जलन पुरानी हो तो सल्‍फर 30 या 200 शक्ति में दिया जा सकता है ।
6- बिवाई का मलहम और लोशन :- जिन लोगों को बार बार बिमाईयॉ फटती हो एंव बिवाई की दरारों में धॉव हो जाते हो ,जिनमें अत्‍याधिक र्दद होता है ऐसी स्थिति में निम्‍न दवाओं को पेट्रोलियम जैली वेसलीन में मिलाकर बिवाई पर लगाने से उचित परिणा मिलते है ।
(अ)कैलेन्‍डुला क्‍यू :- यह होम्‍योपैथिक की एन्‍टी सेप्टिक दवा है किसी भी प्रकार के धॉवों को ठीक करने की इसमें अदभूत शक्ति है एलोपैथिक सर्जन डॉ0 मिस्‍त्री सहाब अपने हॉस्पिटल में मरीजों के आपरेशन के बाद इस औषधि का मूल अर्क धॉवों में लगाते है एंव उनका कहना है कि इसके परिणाम अन्‍य एलोपैथिक एन्‍टीसेप्टिक दवाओं के मलहमों की अपेक्षा अच्‍छे परिणाम मिले है ,इसके लगाने से धॉव तो भरते ही है धॉव वाली जगह चिकनी मुलायम हो जाती है ।
(ब)एकारिकस मस क्‍यू :- यह दवा सभी तरह की बिवाईयों की एक उर्त्‍कष्‍ट दवा है ।
(स)एजेरेक्‍टा इंडिका (नीम) क्‍यू :- इस दवा का मूल अर्क नीम से तैयार किया जाता है यह एक कीटाणुओं को धॉवों में पनपने नही देती ।
  उक्‍त सभी दवाओं के मूल अर्क की बराबर मात्रा में उसे अपस में मिला ले, इसके बाद यदि आप को मलहम बनाना हो तो उसे पेट्रोलियम जैली व्‍हाईट वेसलीन में इतना मिलाये कि वेसलीन का कलर मिलाई जाने वाली दवा के कलर की हो जाये बस आप का बिवाई में लगाने वाला मलहम तैयार है अब इस का प्रयोग आप बिवाई पर कर सकते है।
यदि आप लोशन लोशन बनाना चाहते हो तो तीनों दवाओं को ग्‍लीसरीन में इतना मिलाये जिससे ग्‍लीसरीन का कलर मिलाई जाने वाली दवा के कलर की हो जाये । उपरोक्‍त मलहम या लोशन का प्रयोग आप निर्वाचित दवाओं के साथ कर सकते है ।
सहायक उपचार :- चूंकि उपरोक्‍त दवाये बिवाईयो की दवाये है । परन्‍तु यहॉ पर मै एक बात और कहना चाहूंगा , धॉव जैसी स्थिति में सैल्‍स (कोशिकाओं) का निरन्‍तर बनते रहना आवश्‍यक है साथ ही उक्‍त स्‍थान पर रक्‍त तथा आक्‍सीजन की सप्‍लाई उचित होना चाहिये । इन परस्थितियों में बायोकेमिक की दवाओं का प्रयोग इस उदेश्‍य से आवश्‍यक है एंव इसका प्रयोग किया जाना चाहिये । सैल्‍स निर्माण में कैल्‍केरिया फॉस उपयोगी है । इसी प्रकार शरीर के जिन स्‍थानों पर आक्‍सीजन एंव रक्‍त की पूर्ति नही होती वहॉ सैल्‍स का निर्माण नही होता कैल्‍केरिया फॉस सैल्‍स निमाण में सहायक है । आक्‍सीन की पूर्ति के लिये फेरम फॉस का प्रयोग करना चाहिये यह आक्‍सीन को खीचती है तथा आक्‍सीजन को गतव्‍य स्‍थान तक पहुंचाने में कॉली सल्‍फ उपयोगी है
अत: निवार्चित दवाओं के साथ बायोकेमिक की इन दवाओं का प्रयोग 3एक्‍स ,6एक्‍स या 12एक्‍स शक्ति में किया जा सकता है इसके बहुत ही अच्‍छे परिणाम मिलते है ।
                           डॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देल बी0एच0एम0एस0

                               डॉ0कृष्‍ण भूषण सिंह चन्‍देल
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