(होम्योपैथिक के चमत्कार भाग-2 पुस्तक से)
होम्योपैथिक के चमत्कार
1-शरीर में नये सेल्स का निर्माण न होना (कैल्केरिया फास) :- शरीर में नये सैल्स के निमार्ण
न होने पर कैल्केरिया फास देना चाहिये क्योकि कैल्केरिया फॉस का प्रभाव शरीर
में नये नये सेल्स का निर्माण करना है । अगर शरीर में कैल्केरिया फॉस की कमी हो
जाये तो नये सैल्स का बनना बन्द हो जाता है । नये सेल्स के न बनने से जो रोग
उत्पन्न होते है उसमें कैल्केरिया फॉस का उपयोग करना चाहिये । जब कोई औषधियॉ
काम करना बन्द कर दे तो अधिक संभावना यही होती है कि शरीर में नवीन सेल्स का
निर्माण नही हो रहा है ऐसी स्थिति में इस दवा का प्रयोग किया
जा सकता है ।
2-आक्सीजन को शरीर में सब जगह पहुचाना (काली सल्फ):- काली सल्फ का मुख्य
काम आक्सीजन को शरीर में सब जगह पहुचाना है । आक्सीजन ही तो गर्मी पैदा करती है
यदियह न होतो शरीर ठडा महसूस करता है आक्सीजन की कमी जो जाने और कार्बन के बढ
जाने से जितनी भी शिकायेते पैदा हो वे सभी काली सल्फ की कमी से दूर हो जाती है ।
कैलिसल्फ शरीर के तन्तुओं में आक्सीजन का प्रवेश बढा देता है । नये सैल्स बनने
लगते है एंव पुराने सैल्स शीध्र झड जाते है ।
एरिस्पडोंस्पर्मा
1 एक्स – यह दवा लॅग को ताकत देने वाली
दवा है श्वास प्रश्वास केन्दों को प्ररित कर आक्सीजन के मिश्रण सम्बधित दोषों
को दूर कर देती है रक्त में आक्सीजन की मात्रा बढाती है ।
gksE;ksiSfFkd
ds peRdkj
2-रक्त में डब्लू
बी सी की अधिकता (बैराईटा आयोड) :- रक्त में डब्लू बी सी की अधिकता होने पर बैराईटा आयोड 30 शक्ति में
प्रयोग कुछ लम्बे समय तक करना चाहिये इसके नियमित सेवन से श्वेत रक्त कणिकाओं
की मात्रा घटने लगती है ।
3 रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी (फेरम फॉस 3 एक्स):- यदि रक्त में हिमोग्लोबिन की
कमी है तो फेरम फॉस 3 एक्स या 6 एक्स शक्ति में प्रयोग करना चाहिये ।
डॉ0धोष ने लिखा है कि बेराईटा म्योरटिका के प्रयोग से लाल
रक्त कणिकाये घट जाती है और श्वेत कण बढ जाते है (ल्यूकोसाईटस)
4 पेशाब में यूरिक ऐसिड का बढना (बैराईटा म्यूर):-
पेशाब की परिक्षा में क्लोराईड अंश घटता है और यूरिक ऐसिड परिणाम बहुत बढ जाता है
तो बैराईटा म्यूर देना चाहिये ।
5 पेशाब में यूरिया ज्यादा बनने पर (कास्टिकम) :-
यदि पेशाब में यूरिया ज्यादा आने लगे तो कास्टिकम दबा को याद करना चाहिये डॉ0आर
हूजेज ।
6 शरीर में आक्सीजन की कमी होने पर (फेरम फॉस एंव काली
सल्फ) :- यदि शरीर में आक्सीजन की कमी हो तो फेरम फॉस एंव काली सल्फ दबा
का प्रयोग करना चाहिये ।
अच्छे से अच्छा भोजन करने पर भी शरीर का सूखते चले जाना
:- आयोडियम ,नेट्रम म्यूर और ऐब्रोटेनम इन तीनों दबाओं में शारीर की पोषण क्रिया
इतनी बिगड जाती है कि भोजन मिलने पर भी शरीर पर मॉस नही चढता और रोगी दुर्बल होता
चला जाता है ।
12 शारीरिक एंव मानसिक शक्ति हेतु (एक्सरे 12):-
शारीरिक व मानसिक शक्ति हेतु एक्सरे 12 या इससे भी ऊची शक्ति में प्रयोग करने से
मानसिक व शारीरिक शक्ति बढती है । यह दबा संजीवनी शक्ति को बल प्रदान करता है ।
9 जल्दबॉज रोगी (सल्फयूरिक ऐसिड) :- रोगी हर काम
में जल्दबॉज :-रोगी हर काम को जल्द बॉजी में करता है इसकी दबा सल्फयूरिक ऐसिड
है इसका रोगी जो भी काम करना होता है उसे तुरन्त करना चाहता है एक मिनट की भी
देरी वह सहन नही कर सकता बेहद कमजोरी तो इस दबा का चरित्रगत लक्षण है ,हर काम को
जल्दी से जल्दी कर लेना चाहता है ।
10 सोते समय ऑखों का अधखुला रहना (लाईकोपोडियम):-
डॉ0 लूजवेल्ट ने कहॉ है कि सोते समय ऑखों की अधखुली अवस्था लाईकोपोडियम दबा को
निर्देशित करती है
11 सूर्य की गर्मी और गैस की रोशनी से सिर
दर्द (नेट्रम
कार्बोनिकम ,ग्लोनाईन ,लैकेसिस) :- यदि सूर्य की गर्मी एंव गैस की रोशनी से
सिर र्दद होने पर नेट्रम कार्बोनिकम ,ग्लोनाईन ,लैकेसिस दबाओं का प्रयोग करना
चाहिये । इसी प्रकार सूर्य के ताप से या गर्मी या आग के पास काम करने पर रोग लक्षण
बढते हो तो उपरोक्त दबाओं के अतरिक्त ब्रायोनिया ,जैलसियम दबा को भी याद करना
चाहिये ।G:\BC-वर्ष 2018-19\Homeopathic\hoeopathic
book 1.doc
13 क्रोध (कैमोमिला,एकोनाईट ,ब्रायोनिया,कोलोसिथ ,इग्नेशिया,लाईकोपोडियम ,नक्स तथा
स्टैफिसेग्रिसिया) :- युवाओं के
क्रोध में स्टैफिसेग्रिसिया तथा नक्स मन पर प्रभाव करने की औषधि के रूप में
युवाओ के क्रोध में प्राय: नक्स का प्रयोग होता है परन्तु स्टैफिग्रेसिया
युवाओं के क्रोध में कभी कभी ज्यादा लाभकारी दबा है । क्रोध की प्रमुख दबाये
कैमोमिला,एकोनाईट ,ब्रायोनिया,कोलोसिथ ,इग्नेशिया,लाईकोपोडियम ,नक्स तथा स्टैफिसेग्रिसिया
है जिनका प्रयोग लक्षणों के अनुसार किया जाना चाहिये ।
14-छाई (यूजेनिया
जैम्बोस क्यू) :- यूजेनिया जैम्बोस क्यू यह दवा छाई पर लगाने वाली एक सर्वोत्तम दवा है जो
प्राय: छाई को ठीक कर देती है डॉ0 एस0के0दुबे
15-जलन के नये पुराने रोगीयो में :- जलन के नये रोगो
में आसैनिक तथा पुराने रोगों में सल्फर सर्वश्रेष्ट औषधि है ।
16- अवसाद ,चिन्ता , निराशा (मेग्नीशिया
कार्ब) :- अवसाद
,चिन्ता ,सांसारिक चिन्ताओं से निराशा आदि में मेग्नीशिया कार्ब देना चाहिये ।
17-शारीरिक तथा मानसिक विकाश के रूक जाने
पर (मेरोडिनम) :-यदि
रोगी का शारीरिक तथा मानसिक विकाश रूक गया हो तो मेरोडिनम दवा को याद करना चाहिये
।
18- तनाव के लिये डॉ0 भटटाचार्य का नुस्खा
(हाइड्रेस्टिस केन, सिपिया, इग्नेशिया, पेसीफलोरा फाइटोलक्का):- तनाव के लिये डॉ0
भटटाचार्य का नुस्खा, जो बहुत कारगर है । इसमें आप निम्न दवाओं को बतलाई हुई
शक्ति एंव मात्रा में आपस में मिला कर इसका मिक्चर बना कर उपयोग करे इसके अच्छे
परिणाम मिलते है । हाइड्रेस्टिस केन क्यू
1-औंस, सिपिया 6 आधा औंस ,इग्नेशिया क्यू 2-ड्राम ,पेसीफलोरा क्यू 1-ड्राम,
फाइटोलक्का 1-ड्राम, इन पॉचों दवाओं का मिक्चर बनाकर दस दस बूंद दिन में तीन बार
देने से तनाव कम हो जाता है ।
( हो0ग0अक्टू0दिस02013
पृक्र68)
19- आयुर्वेदिक दवा में बृहमी एंव शखपुष्पी
का चूर्ण सम मात्रा में मिला कर एक एक चम्मच सुबह शाम लेने से तनाव डिप्रेशन एंव
मानसिक रोगों में बहुत लाभ होता है ।
20- रक्त शुद्ध – चर्म रोगों में रक्त को शुद्ध करने वाली दवा
सार्सापेरिला
डॉ0 सत्यम सिंह चन्देल बी0एच0एम0एस0
ईमेल- jjsociety1@gmail.com
मो0-9300071924
9630309033
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें